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________________ [26] ३ २४३ २४६ .. २७६ २५० क्रं. विषय | क्रं. विषय ८८. उद्यान में आमोद-प्रमोद २३५ | ११२.दीक्षा-संस्कार २७२ ८९. अण्डों का अधिग्रहण २४० | ११३.थावच्चापुत्र की तपःपूत चर्या . २७३ ६०. संशय का दुष्परिणाम २४१ | ११४.थावच्चापुत्र का जनपद विहार __.२७३ ६१. अश्रद्धा का कुफल ११५.राजा शैलक द्वारा श्रावक-धर्म ६२. श्रद्धाशीलता का सत्परिणाम २४३ का स्वीकरण २७४ कूर्म नामक चतुर्थ अध्ययन ११६.श्रेष्ठी सुदर्शन ... २७५ ६३. दो मांस-लोलुप श्रृगाल - ११७.परिव्राजक शुक ६४. दो कछुओं का झील से बहिरागमन २५० ११८.शुक द्वारा शौचमूलक धर्म का उपदेश २७७ ६५. श्रृगालों की कछुओं पर दृष्टि ११९.थावच्चापुत्र का पदार्पण ६६. कछुओं द्वारा अंगगोपन २५१ १२०.थावच्चापुत्र-सुदर्शन संवाद . २७८ १७. सियारों का दुष्प्रभाव २५१ १२१.सुदर्शन को प्रतिबोध २८० ६८. अस्थिर कूर्म का सर्वनाश २५२ १२२.शुक का पुनः आगमन ६६. अगुप्तेन्द्रिय कच्छप से शिक्षा २५३ १२३.शुक एवं थावच्चापुत्र का शास्त्रार्थ २८५ १००.जागरूक कछुआ २५४ शैलक नामक पांचवां अध्ययन | १२४.शुक का समाधान : दीक्षा १२५.थावच्चापुत्र : सिद्धत्व प्राप्ति २६२ १०१.द्वारवती नगरी १०२.रैवतक पर्वत १२६.मंत्रियों सहित राजा शैलक की प्रव्रज्या १०३.श्री कृष्ण वासुदेव २६३ १०४.थावच्चापुत्र १२७.अनगार शुक की मुक्ति .. २६१ १०५.अर्हत् अरिष्टनेमि का पदार्पण १२८.शैलक : रोगग्रस्त २६७ २६२ १०६.वासुदेव कृष्ण की भक्ति | १२६.राजा मंडुक द्वारा चिकित्सा व्यवस्था २९७ २६३ १०७.थावच्चापुत्र का वैराग्य २६६ १३०.संयम में शैथिल्य ३०० १०८.वैराग्य की परीक्षा १३१.मदोन्मत्त शैलक का कोप ३०३ १०६.थावच्चापुत्र का विवेक पूर्ण कथन २६८ | १३२.विनयशील पंथक ३०४ ११०.कृष्ण वासुदेव का परितोष १३३.शैलक का संयम पथ पर पुनः १११.दीक्षाभिषेक २७१ आरोहण ३०६ २८२ २५७ २५८ २५६ २६६ २६८ २६६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004196
Book TitleGnata Dharmkathanga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages466
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size9 MB
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