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प्रथम अध्ययन - प्रतिबोध हेतु पूर्वभव का आख्यान
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प्रतिबोध हेतु पूर्वभव का आख्यान
(१६४) एवं खलु मेहा! तुमं इओ तच्चे अईए भवग्गहणे वेयडगिरि-पायमूले वणयरेहिं णिव्वत्तिय-णामधेजे सेय संखदलउजल-विमल-णिम्मल दहिघण-गोखीरफेणरयणियरप्पयासे सत्तुस्सेहे णवायए दसपरिणाहे सत्तंगपईटिए सोमे समिए सुरूवे पुरओ उदग्गे समूसियसिरे सुहासणे पिट्ठओ वराहे अइया कुच्छी अच्छिद्दकुच्छी अलंबकुच्छी पलंबलंबोदराहरकरे धणुपट्टागिइ-विसिट्ठपुढे अल्लीण-पमाण जुत्तवट्टिय-पीवर-गत्तावरे अल्लीण-पमाण-जुत्त-पुच्छे पडिपुण्ण-सुचारु-कुम्मचलणे, पंडुर-सुविसुद्ध-णिद्ध-णिरुवहय-विंसतिणहे छदंते सुमेरुप्पभे णामं हत्थिराया होत्था। ___ शब्दार्थ - इओ - इससे, तच्चे - तीसरे, अइए - अतीत, भवग्गहणे - भवग्रहण के समय, वेयवगिरि-पायमूले - वैताढ्य पर्वत की तलहटी में, वणयरेहिं - वनचरों द्वारा, णिव्वत्तियणामधेजे - नाम रखा हुआ, संखदल - शंख का चूर्ण, दहि - दधि, घण - शरदऋतु का मेघ, गोखीरफेण - गाय के दूध का झाग, रयणियरप्पयासे - चन्द्रमा के समान प्रकाश युक्त, सत्तुस्सेहे - सात हाथ ऊँचे, णवायए - नौ हाथ लंबे, दसपरिणाहे - दस हाथ प्रमाण मध्य भाग युक्त, सत्तगंपइट्ठिए - परिपूर्ण सप्त अंग युक्त, सोमे - सौम्य, समिए - प्रमाणोपेत. अंग सहित, उदग्गे - उदग्र-उच्च, समूसियसिरे - उन्नत मस्तक युक्त, सुहासणे - सुंदर स्कंधादि युक्त, पिट्टओ - पिछला भाग, वराहे - सूअर, अइया कुच्छी - बकरी के समान कुक्षि युक्त, अच्छिद्द - छिद्रवर्जित, पलंब-लंबोदराहरकरे - लम्बे पेट अधर तथा सूंड युक्त, धणुपट्टागिइ - धनुष के पृष्ठ भाग की आकृति, पुढे - पीठ, अल्लीण - सुसंघटि, वट्टियट्ट - गोलाकार, पीवर - परिपुष्ट, गत्तावरे - अन्य अवयव, कुम्म चलणे - कछुए के समान पैर, पंडुर - श्वेत, णिद्ध - चिकना, णिरुवहय - निरुषहत-अछिन्न-भिन्न, छदंते - छह दांत युक्त, हत्थे राया - हाथियों का राजा।
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