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जीवाजीवाभिगम सूत्र
उत्कृष्ट स्थिति एक हजार वर्ष अधिक एक पल्योपम की है। उनकी देवियों की स्थिति जघन्य पाव पल्योपम उत्कृष्ट पांच सौ वर्ष अधिक आधे पल्योपम की है।
सूर्य विमानवासी देवों की स्थिति जघन्य पाव पल्योपम उत्कृष्ट एक हजार वर्ष अधिक एक पल्योपम की है। उनकी देवियों की स्थिति जघन्य पाव पल्योपम और उत्कृष्ट पांच सौ वर्ष अधिक आधा पल्योपम की है। ___ ग्रह विमानवासी देवों की स्थिति जघन्य पाव पल्योपम उत्कृष्ट एक पल्योपम की, उनकी देवियों की स्थिति जघन्य पाव पल्योपम उत्कृष्ट आधा पल्योपम की है।
नक्षत्र विमानवासी देवों की स्थिति जघन्य पाव पल्योपम उत्कृष्ट आधा. पल्योपमं और उनकी देवियों की स्थिति जघन्य पाव पल्योपम उत्कृष्ट कुछ अधिक पाव पल्योपम की है। ___ तारा विमानवासी देवों की स्थिति जघन्य पल्योपम के आठवें भाग की, उत्कृष्ट पाव पल्योपम की। उनकी देवियों की स्थिति जघन्य पल्योपम के आठवें भाग की, उत्कृष्ट कुछ अधिक पल्योपम के आठवें भाग की है। . .
एएसि णं भंते! चंदिमसूरियगहणक्खत्ततारारूवाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! चंदिमसूरिया एए णं दोण्णिवि तुल्ला सव्वत्थोवा, संखेज्जगुणा णक्खत्ता, संखेज्जगुणा गहा, संखेजगुणाओ तारगाओ ॥ २०६॥
॥जोइसुद्देसओ समत्तो॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और ताराओं में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं? - उत्तर - हे गौतम! चन्द्र सूर्य दोनों तुल्य और सबसे थोड़े हैं। उनसे नक्षत्र संख्यातगुण हैं, उनसे ग्रह संख्यातगुण हैं और उनसे तारें संख्यातगुण हैं। इस प्रकार ज्योतिषीदेवों का वर्णन पूरा हुआ।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में चन्द्र आदि का अल्पबहुत्व कहा गया है जो इस प्रकार समझना चाहिये - सबसे थोड़े चन्द्र सूर्य हैं और आपस में बराबर है क्योंकि प्रत्येक द्वीप और समुद्र में चन्द्र सूर्यों की संख्या समान है और ये ग्रह, नक्षत्र और ताराओं की अपेक्षा अल्प हैं। चन्द्र और सूर्यों से नक्षत्र संख्यात गुणा अधिक हैं क्योंकि ये २८ गुणे होते हैं। नक्षत्रों से ग्रह संख्यात गुणे अधिक हैं क्योंकि कुछ अधिक तिगुणे कहे गये हैं। ग्रहों की अपेक्षा तारें संख्यात गुण अधिक हैं क्योंकि ये प्रभूत कोटीकोटि कहे गये हैं।
॥ज्योतिषी उद्देशक समाप्त॥
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