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जीवाजीवाभिगम सूत्र .00000000000000000000000000r.orrorrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrtoon
लवणे णं भंते! समुदं किं ऊसिओदगे किं पत्थडोदगे किं खुभियजले किं अखुभियजले? ___ गोयमा! लवणे णं समुद्दे ऊसिओदगे णो पत्थडोदगे खभियजले णो अक्खुभियजले। जहा णं भंते! लवणे समुद्दे ऊसिओदगे णो पत्थडोदगे खुभियजले णो अक्खुभियजले तहा णं बाहिरगा समुद्दा किं ऊसिओदगा पत्थडोदगा खुभियजला अक्खुभियजला? गोयमा! बाहिरगा समुद्दा णो उस्सिओदगा पत्थडोदगा णो खुभियजला अक्खुभियजला पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिटुंति॥
कठिन शब्दार्थ - ऊसिओदगे - उच्छ्रितोदक:-उछलने वाला जल, पत्थडोदगे - प्रस्तटोदक:प्रस्तट की तरह स्थिर जल अर्थात सर्वतः सम रहने वाला जल. खभियजले- क्षभितजल: अक्खभियजले - अक्षुभित जलः, पुणप्पमाणा - पूर्णप्रमाणा:-पूरे पूरे भरे हुए, वोलट्टमाणा - बाहर छलकना चाहते हैं, वोसट्टमाणा - विशेष रूप से बाहर छलकना चाहते हैं, समभरघडत्ताए - लबालब भरे हुए घट के समान जल से परिपूर्ण।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! लवण समुद्र का जल उछलने वाला है या प्रस्तट की तरह स्थिरसर्वतः सम रहने वाला है ? उसका जल क्षुभित रहता है या अक्षुभित?
उत्तर - हे गौतम! लवण समुद्र का जल उछलने वाला है, स्थिर नहीं है, क्षुभित होने वाला है, अक्षुभित रहने वाला नहीं है।
प्रश्न - हे भगवन् ! जैसे लवण समुद्र का जल उछलने वाला है, स्थिर नहीं है, क्षुभित होने वाला है, अक्षुभित रहने वाला नहीं है वैसे ही क्या बाहर के समुद्र भी उछलते. जल वाले हैं, स्थिर जल वाले हैं, क्षुभित जल वाले हैं या अक्षुभित जल वाले हैं ?
उत्तर - हे गौतम! बाहर के समुद्र उछलते जल वाले नहीं है, स्थिर जल वाले हैं, क्षुभित जल वाले नहीं है, अक्षुभित जल वाले हैं। वे पूर्ण हैं, पूरे-पूरे भरे हुए हैं, पूर्ण भरे होने से मानो बाहर छलकना चाहते हैं, विशेष रूप से बाहर छलकना चाहते हैं, लबालब भरे हुए घट की तरह जल से परिपूर्ण हैं।
अस्थि णं भंते! लवणसमुद्दे बहवे ओराला बलाहगा संसेयंति संमुच्छंति वा वासं वासंति वा? हंता अत्थि। जहा णं भंते! लवणसमुद्दे बहवे ओराला बलाहगा संसेयंति संमुच्छंति वासं वासंति वा तहा णं बाहिरएसुवि समुद्देसु बहवे ओराला बलाहगा संसेयंति संमुच्छिंति वासं वासंति? णो इणढे समढे, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइबाहिरगा णं समुद्दा पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए
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