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णमोत्थुणं समणस्स भगवओ महावीरस्स
जीवाजीवाभिगम सूत्र
भाग-२
(मूलपाठ, कठिन शब्दार्थ, भावार्थ और विवेचन सहित)
मंदरोडेसो - मंदर उद्देशक
तृतीय-प्रतिपत्ति-देवों का वर्णन . से किं तं देवा?
देवा चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा - भवणवासी वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया ॥११४॥
भावार्थ - देव कितने प्रकार के कहे गये हैं ? . देव चार प्रकार के कहे गये हैं, वे इस प्रकार हैं - १. भवनवासी २. वाणव्यंतर ३. ज्योतिषी और ४. वैमानिक।
से किं तं भवणवासी?
भवणवासी दसविहा पण्णत्ता, तं जहा - असुरकुमारा जहा पण्णवणापए देवाणं भेओ तहा भाणियव्वो जाव अणुत्तरोववाइया पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - विजयवेजयंत जाव सव्वट्ठसिद्धगा, से तं अणुत्तरोववाइया॥११५॥
भावार्थ - भवनवासी देव कितने प्रकार के कहे गये हैं ? भवनवासी देव दस प्रकार के कहे गये हैं। यथा - असुरकुमार आदि प्रज्ञापना पद में कहे हुए
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