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________________ जीवाजीवाभिगम सूत्र २. साधारण शरीरी । जिन जीवों का शरीर अलग-अलग होता है वे प्रत्येक शरीर कहलाते हैं और जिन जीवों का एक ही शरीर होता है अर्थात् अनेक जीवों का एक ही शरीर होता है वे साधारण शरीरी कहलाते हैं। से किं तं पत्तेय सरीर बायर वणस्सइकाइया ? ४६ पत्तेयसरीर बायर वणस्सइकाइया दुवालसविहा पण्णत्ता तंजहारुक्खा गुच्छा गुम्मा लया य वल्ली य पव्वगा चेव । तण वलय हरिय ओसहि जलरुह कुहणा य बोद्धव्वा ॥ कठिन शब्दार्थ- पव्वगा पर्वग, जलरुह जलरुह, कुहणा कुहण । भावार्थ- प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक जीवों का क्या स्वरूप है ? - प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक जीव बारह प्रकार के कहे गये हैं वे इस प्रकार हैं - वृक्ष, गुच्छ, गुल्म, लता, वल्ली, पर्वग, तृण, वलय, हरित, औषधि, जलरुह और कुहण । विवेचन प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक के १२ भेद कहे गये हैं वे इस प्रकार हैं १. वृक्ष - नीम, आम आदि । २. गुच्छ - पौधे रूप बैंगन आदि । ३. गुल्म - पुष्प जाति के पौधे नवमालिका आदि । ४. लता - वृक्ष आदि पर चढ़ने वाली चम्पक लता आदि । - - - Jain Education International ५. वल्ली - जमीन पर फैलने वाली बेलें- कुष्माण्डी, पुषी आदि । ६. पर्वग - पौर-गांठ वाली वनस्पति, इक्षु आदि । ७. तृण - दुब, कास, कुश आदि हरी घास । ८. वलय - जिनकी छाल गोल होती है केतकी, कदली आदि । - ९. हरित - बथुआ आदि हरी भाजी । १०. औषधि - गेहूँ आदि धान्य जो पकने पर सूख जाते हैं । ११. जलरुह - जल में उगने वाली वनस्पति, कमल, सिंघाडा आदि । १२. कुहण - भूमि को फोड़ कर उगने वाली वनस्पति जैसे - कुकुरमुत्ता । से किं तं रुक्खा ? रुक्खा दुविहा पण्णत्ता, तंजहा - एगट्टिया य बहुबीया य । से किं तं एगट्टिया ? एगट्टिया अणेगविहा पण्णत्ता, तंजहा - णिंबबजंबु जाव पुण्णागणागरुक्खे सीवणि तहा असोगे य, जे यावण्णे तहप्पगारा, एएसि णं मूलावि असंखेज्ज जीविया, For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004194
Book TitleJivajivabhigama Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages370
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size8 MB
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