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प्रथम प्रतिपत्ति - सूक्ष्म पृथ्वीकायिक के २३ द्वारों का निरूपण - आहार द्वार
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दो गंध वाले पुद्गलों का भी आहार करते हैं। भेद मार्गणा की अपेक्षा सुरभिगंध वाले पुद्गलों का भी आहार करते हैं और दुरभिगंध वाले पुद्गलों का भी आहार करते हैं।
प्रश्न - हे भगवन् ! जिन सुरभिगंध वाले पुद्गलों का आहार करते हैं वे क्या एक गुण सुरभिगंध वाले होते हैं या अनन्तगुण सुरभिगंध वाले होते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! एक गुण सुरभिगंध वाले पुद्गलों का भी आहार करते हैं यावत् अनन्तगुण सुरभिगंध वाले पुद्गलों का भी आहार करते हैं। इसी प्रकार दुरभिगंध के विषय में भी कहना चाहिये। रसों का वर्णन भी वर्ण की तरह समझ लेना चाहिये।
जाइं भावओ फासमंताई आहारेंति ताइं किं एगफासाइं आहारेंति जाव अट्ठफासाई आहारेंति? .. गोयमा! ठाणमग्गणं पडुच्च णो एगफासाइं आहारेंति णो दुफासाइं आहारेंति णो तिफासाइं आहारैति चउफासाइं आहारेंति पंचफासाई पि जाव अट्ठफासाई पि आहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कक्खडाई पि आहारेंति जाव लुक्खाई पि आहारैति।
जाई फासओ कक्खडाइं आहारेंति ताई किं एगगुणकक्खडाइं आहारेंति जाव अणंतगुणकक्खडाइं आहारेंति? - गोयमा! एगगुणकक्खडाई पि आहारेंति जाव अणंतगुणकक्खडाई पि आहारेंति एवं जाव लुक्खा णेयव्वा॥ - भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! भाव की अपेक्षा से वे जीव जिन स्पर्श वाले पुद्गलों का आहार करते हैं वे एक स्पर्श वाले पुद्गलों का आहार करते हैं यावत् आठ स्पर्श वाले पुद्गलों का आहार करते हैं? .. उत्तर - हे गौतम! स्थान मार्गणा की अपेक्षा एक स्पर्श वाले पुद्गलों का आहार नहीं करते, दो स्पर्श वालों का आहार नहीं करते, तीन स्पर्श वालों का आहार नहीं करते, चार स्पर्श वाले पुद्गलों का आहार करते हैं, पांच स्पर्श वालों का आहार करते हैं यावत् आठ स्पर्श वाले पुद्गलों का आहार करते . हैं। भेद मार्गणा की अपेक्षा कर्कश स्पर्श वाले पुद्गलों का भी आहार करते हैं यावत् रूक्ष स्पर्श वाले पुद्गलों का भी आहार करते हैं।
प्रश्न - हे भगवन् ! स्पर्श की अपेक्षा जिन कर्कश पुद्गलों का आहार करते हैं क्या वे एक गुण कर्कश का आहार करते हैं यावत् अनंतगुण कर्कश का आहार करते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! एक गुण कर्कश का भी आहार करते हैं यावत् अनन्त गुण कर्कश का भी आहार करते हैं। इसी प्रकार यावत् रूक्ष स्पर्श तक समझ लेना चाहिये।
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