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जीवाजीवाभिगम सूत्र
उत्तर - हे आयुष्मन् श्रमण ! एकोरुक द्वीप में राजा आदि नहीं हैं। वे मनुष्य ऋद्धि और सत्कार के व्यवहार से रहित हैं अर्थात् वहां सब बराबर है, विषमता नहीं है।
एकोरुक द्वीप में नौकर आदि
अथ णं भंते! एगूरुयदीवे दीवे दासाइ वा पेसाइ वा सिस्साइ वा भयगाइ वा भाइलाइ वा कम्मरपुरिसाइ वा ?
णो इट्टे समट्टे, ववगयआभिओगिया णं ते मणुयगणा पण्णत्ता समणाउसो ! । कठिन शब्दार्थ - पेसाइ प्रेष्य (नौकर ), भयगाइ - भृत्य ( वेतन भोगी), भाइलगाइ भागीदार, कम्मगरपुरिसाइ - कर्मचारी ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! एकोरुक द्वीप में दास, नौकर, शिष्य, भृत्य, भागीदार और कर्मचारी हैं क्या?
उत्तर - हे आयुष्मन् श्रमण ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। वहां दास नौकर आदि नहीं हैं।
एकोरुक द्वीप में माता आदि
अत्थि णं भंते! एगूरुयदीवे दीवे मायाइ वा पियाइ वा भायाइ वा भइणीइ वा भजाइ वा पुत्ताइ वा धूयाइ वा सुण्हाइ वा ?
हंता अत्थि, णो चेव णं तेसि णं मणुयाणं तिव्वे पेमबंधणे समुप्पज्जइ, पणुपेजबंधणा णं ते मणुयगणा पण्णत्ता समणाउसो ! ।'
कठिन शब्दार्थ - भज्जा भार्या, धूयाइ पुत्री, सुण्हाइ पुत्रवधू, पेमबंधणे - प्रेम बन्धन,
पेज बंधणा- प्रतनु प्रेम बंधनाः - अल्प राग (प्रेम) बंधन वाले।
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भावार्थ - प्रश्न हे भगवन्! एकोरुक द्वीप में माता, पिता, भाई, बहिन, भार्या, पुत्र, पुत्री और पुत्रवधू हैं क्या ?
उत्तर - हाँ गौतम ! एकोरुक द्वीप में माता पिता आदि हैं परन्तु उनका तीव्र प्रेमबन्धन नहीं होता है । वे अल्पराग बन्धन वाले हैं।
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एकोरुक द्वीप में अरि आदि
अत्थि णं भंते! एगूरुयदीवे दीवे अरीइ वा वेरिएइ वा घायगाइ वा वहगाइ वा पडीयाइ वा पच्चमित्ताइ वा ?
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