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________________ ४८ अनुत्तरोपपातिक दशा सूत्र धण्णस्स णं अणगारस्स अच्छीणं अयमेयारूवे तवरूवलावण्णे होत्था, से जहाणामए वीणाछिड्डेइ वा, वद्धीसगछिड्डेइ वा पाभाइयतारिगाइ वा एवामेव अच्छीणं जाव सोणियत्ताए। कठिन शब्दार्थ- अच्छीणं - आंखों का, वीणाछिड्डेइ - वीणा के छिद्र, वद्धीसगछिड्डेइबद्धीसग-वाद्य विशेष के छिद्र, पाभाइयतारिगाइ - प्रातःकाल का तारा। भावार्थ - धन्य अनगार की आंखों का तप रूप लावण्य इस प्रकार हो गया था जैसे - वीणा के छिद्र, बद्धीसक वाद्य (बंसरी) के छिद्र अथवा प्रातःकाल के तारे हो। इसी प्रकार धन्य अनगार की आंखे ऊंडी (गहरी), शुष्क रूक्ष तेजोहीन तथा मांस रुधिर से रहित हो गई थी। ___धण्णस्स णं अणगारस्स कण्णाणं अयमेयारूवे तवरूवलावण्णे होत्था, से जहाणामए मूलाछल्लियाइ वा वालुंकच्छल्लियाइ वा, कारेल्लयच्छलियाइ वा, एवामेव कण्णाणं जाव सोणियत्ताए। कठिन शब्दार्थ - कण्णाणं - कान का, मूलाछल्लियाइ - मूली की छाल, वालुंकच्छल्लियाइ - ककडी-खीरे (डोचरे) की छाल, कारेल्लयच्छल्लियाइ - करेले की छाल। . भावार्थ - धन्य अनगार के कान का तप रूप लावण्य ऐसा हो गया था जैसे - मूले की छाल, ककडी की छाल अथवा करेले की छाल हो इसी प्रकार धन्य अनगार के कान पतले, शुष्क तथा मांस रुधिर से रहित हो गये थे। ____धण्णस्स णं अणगारस्स सीसस्स अयमेयारूवे तवरूवलावण्णे होत्था, से जहाणामए तरुणगलाउएइ वा, तरुणगएलालुयइ वा, सिण्हालएइवा, तरुणए जाव चिट्ठइ, एवामेव धण्णस्स अणगारस्स सीसं सुक्कं लुक्खं णिम्मंसं, अट्ठिचम्मच्छिरत्ताए पण्णायइ, णो चेव णं मंससोणियत्ताए। ___ एवं सव्वत्थ, णवरं उदर भायण-कण्णजीहाउट्ठा एएसिं अट्ठी णं भण्णइ चम्मच्छिरत्ताए पण्णायइ त्ति भण्णइ। ____ कठिन शब्दार्थ - सीसस्स - सिर-मस्तक का, तरुणगलाउएइ - कोमल तुम्बक (बा) फल, तरुणगएलालुयइ - कोमल एलालुक फल, सिण्हालएइ - सेफालक (सिस्तालक) नामक फल विशेष, लुक्खं - रूक्ष, अट्ठिचम्मच्छिरत्ताए - अस्थि, चर्म और नसों के कारण, पण्णायइ - जाना जाता, सव्वत्थ - सभी, ण भण्णइ - नहीं कहा जाता। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004192
Book TitleAnuttaropapatikdasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages86
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuttaropapatikdasha
File Size12 MB
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