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________________ ४२ ***** Jain Education International कठिन शब्दार्थ - कडिपत्तस्स कटि-पट्ट का, उट्टपाएइ जरग्गपाएइ - बूढे बैल का पैर, महिसपाएड़ - भैंस के पांव । भावार्थ धन्य अनगार की कमर का तप रूप लावण्य इस प्रकार का हो गया था जैसे ऊंट का पांव, बूढे बैल का पांव (भैंस के पांव) हों यावत् धन्य अनगार की कमर में मांस और रुधिर नहीं रहा था । धण्णस्स णं अणगारस्स उदरभायणस्स अयमेयारूवे तवरूवलावण्णे होत्था, से हाणामए सुक्कदिएइ वा भज्जणयकभल्लेइ वा कट्ठकोलंबएइ वा, एवामेव उदरं सुक्कं० । कठिन शब्दार्थ - उदरभायणस्स उदर-भाजन का, सुक्कदिएइ - सूखी हुई चमड़े की चने आदि भूनने का भाजन, कट्ठकोलंबएइ - काष्ठ का कोलम्ब भज्जणयकभल्ले मशक, ( पात्र विशेष ), उदरं - उदर, सुक्कं सूख गया । भावार्थ - धन्य अनगार के पेट रूपी भाजन का तप रूप लावण्य इस प्रकार का हो गया था जैसे सूखे चमड़े की मशक, चना आदि भूंजने की भाड़ अथवा वृक्ष की शाखा का नमा हुआ अग्रभाग और काष्ठ की कचौटी हो वैसे ही धन्य अनगार का पेट सूखा और मांस रह हो गया था। धन्य अनगार की पांसलियां, पीठ करंडक, छाती, भुजा, हाथ और हाथ की अंगुलियाँ धण्णस्स णं अणगारस्स पांसुलियकडयाणं अयमेयारूवे तवरूवलावण्णे होत्था, से जहाणामए थासयावलीइ वा पाणावलीइ वा मुंडावलीइ वा एवामेव पांसुलियाकडयाणं जाव सोणियत्ताए । कठिन शब्दार्थ - पांसुलियकडयाणं. पार्श्व भाग की अस्थियों के कटकों का, थासयावलीइ - स्थासकावली - दर्पण जैसी आकृति वाले 'स्थासक' कहे जाते हैं - स्थासकों की पंक्ति, पाणावलीइ - पाणावली-गोल आकार के भाजन विशेष को 'प्राण' कहते हैं अर्थात् प्राणों की श्रेणी पंक्ति, मुंडावलीइ - मुंडावली मुंड की श्रेणी अर्थात् समुदाय, भैंस के बाड़े आदि में परिध रखा जाता है उसे 'मुंड' कहते हैं। - अनुत्तरोपपातिक दशा सूत्र - ✯ ✯ ✯✯ ✯ ✯ ✯ ✯********** ale aje ale aje aje a For Personal & Private Use Only - उष्ट्र (ऊंट) का पांव, www.jainelibrary.org
SR No.004192
Book TitleAnuttaropapatikdasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages86
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuttaropapatikdasha
File Size12 MB
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