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________________ वर्ग १ अध्ययन १ युद्ध की तैयारी लौटाऊँगा और न ही वेहल्लकुमार को भेजूंगा किन्तु युद्ध के लिए तैयार हूँ।' ऐसा कह कर उस दूत को असत्कार करं, असम्मान कर और अपमान कर पिछले द्वार से निकाल दिया। काल आदि दस कुमारों को बुलाया तसे कूणि या तस्स दूयस्स अंतिए ए ( अ ) यमहं सोचा णिसम्म आसुरुते कालाईए दस कुमारे सहावे सहावेत्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया! वेहल्ले कुमारे ममं असंविदिएणं सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं हारं अंतेउरं सभण्डं च गहाय चम्पाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता वेसालिं अज्जगं जाव उवसंपजित्ताणं विहरइ, तए णं मए सेयणगस्स गंधहत्थिस्स अट्ठारसवंकस्स० अट्ठाए दूया पेसिया, ते. य चेडएण रण्णा इमेणं कारणेणं पडिसेहिया, अदुत्तरं च णं ममं तच्चे दूए असक्कारिए असंमाणिए अवद्दारेणं णिच्छुहावेइ, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं चेडगस्स रण्णो जुत्तं गिहित्तए । तए णं कालाईया दस कुमारा कूणियस्स रण्णो एयमहं विणएणं सुर्णेति ॥ ६० ॥ भावार्थ - तत्पश्चात् कोणिक राजा ने दूत का कथन सुन कर क्रोधित हो काल आदि द कुमारों को बुलाया और बुला कर इस प्रकार कहा - हे देवानुप्रियो ! मुझे बताये बिना ही वेहल्लकुमार सेचनक गंधहस्ती, अठारहलड़ी वाला हार और अंतःपुर परिवार सहित गृहस्थोचित भण्डोपकरणों को लेकर चम्पानगरी से निकला और निकल कर वैशाली में चेटक राजा के पास जाकर रहने लगा है। मैंने सेचनक गंधहस्ती और अठारह लड़ी का हार लाने के लिए दूत भेजा। चेटक राजा ने हार, हाथी • और हल्लकुमार को भेजने से इंकार कर दिया और मेरे तीसरे दूत को असत्कारिक, असम्मानित और अपमानित कर पिछले द्वार से बाहर निकाल दिया । इसलिए हे देवानुप्रियो ! हमें चाहिये कि हम राजा चेटक का निग्रह करें। यह सुन कर उन काल आदि दस कुमारों ने राजा कूणिक की इस बात विनयपूर्वक स्वीकार किया । ४६ युद्ध की तैयारी तए णं से कूणिए राया कालाईए दस कुमारे एवं वयासी- गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया! सएसु सएस रज्जेसु पत्तेयं पत्तेयं व्हाया जाव पायच्छित्ता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004191
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages174
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size17 MB
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