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________________ क्रं. ६६. सोमा नामकरण विषय १००. सोमा का विवाह १०१. सोमा द्वारा संतानोत्पत्ति १०२. सोमा का चिन्तन १०३. आर्याओं का धर्मोपदेश १०४. सोमा का धार्मिक चिंतन १०५. सोमा श्रमणोपासिका बनेगी १०६. सोमा की दीक्षा १०७. सोमदेव के रूप में उपपात १०८. उपसंहार १०६. पांचवाँ अध्ययन ११०. पूर्णभद्र देव के पूर्वभव विषयक पृच्छा १११. पूर्णभद्र अनगार की साधना ११२. उपसंहार ११३. छठा अध्ययन ११४. मणिभद्र देव का पूर्व भव ११५. सात से दस अध्ययन ११६. दत्त आदि देवों का वर्णन चतुर्थ वर्ग-पुष्पचूलिका -११७. प्रथम अध्ययन प्रस्तावना ११८. श्रीदेवी का पूर्व भव ११६. पार्श्वप्रभु का पदार्पण १२०. भूता द्वारा प्रभु की पर्युपासना १२१. भूता दारिका का अभिनिष्क्रमण १२२. भूता द्वारा प्रव्रज्या ग्रहण १२३. भूता शरीर बकुशिका बनी १२४. पुष्पचूलिका आर्या द्वारा समझाना १२५. भूता आर्या का देवलोकगमन १२६. दो से दस तक नौ अध्ययन Jain Education International पृष्ठ संख्या क्रं. ११४ ११४ ११५ ११७ ११८ ११६ [14] १२० १२१ १२२ १२३ विषय पंचम वर्ग- वृष्णिदशा १२७. प्रथम अध्ययन प्रस्तावना १२८. द्वारिका का वर्णन १२६. रैवतक पर्वत का पर्वन १३०. नंदनवन उद्यान, सुरप्रिय यक्षायतन | १३१. कृष्ण वासुदेव का शासन १३२. निषधकुमार का जन्म पृष्ठ संख्या वनखण्ड और पृथ्वीशिलापट्टक का वर्णन १४२ १४३ १४४ १४४ १४५. १३३. भगवान् अरिष्टनेमि का पदार्पण | १३४. सामुदानिक भेरी बजाने का आदेश १२३ १२४ १३५. कृष्ण वासुदेव द्वारा भगवान् की १२५ पर्युपासना १२६ १३६. निषधकुमार द्वारा श्रावकव्रत ग्रहण १२७ १३७. वरदत्त अनगार की जिज्ञासा और १२७ १२६ १३८. सिद्धार्थ नामक आर्या का पदार्पण १२६ १३६. वीरांगद द्वारा प्रव्रज्या ग्रहण समाधान १४०. वीरांगद अनगार का देवरूप उपपात १३० १४१. वीरांगद देव का निषध रूप में जन्म १३१ | १४२. भगवान् अरिष्टनेमि का विहार १३२ १४३. निषधकुमार का चिंतन १३२ १४४. निषधकुमार द्वारा प्रव्रज्या ग्रहण १३४ १४५. निषध अनगार की मृत्यु १३५ १४६. भविष्य विषयक पृच्छा १३६ १४७. निषेध देव रूप में उपपात १३६ १४८. भविष्य कथन - उपसंहार १३८ १४६. शेष अध्ययन १३६ | १५०. उपसंहार For Personal & Private Use Only १४० १४०. १४१ १४५ १४६: १४७ १४८ १४६ १४६ १५० १५० १५१ १५२ १५२ १५३ १५३ १५४ १५६ १५६ www.jalnelibrary.org
SR No.004191
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages174
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size17 MB
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