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वर्ग ३ अध्ययन ३ सोमिल की साधना ...............................................
सोमिल की साधना तए णं से सोमिले माहणे रिसी पढमछट्ठक्खमणपारणंसि आयावणभूमीए पच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता वागलवत्थणियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता किढिणसंकाइयं गेण्हइ. गिण्हित्ता पुरत्थिमं दिसिं पुक्खेइ पुक्खेत्ता पुरथिमाए दिसाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसिं, जाणि य तत्थ कंदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुष्पाणि य फलाणि य बीयाणि य हरियाणि य ताणि अणुजाणउत्तिकट्ट पुरत्थिमं दिसं पसरइ पसरित्ता जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताइं गेण्हइ गिण्हित्ता किढिणसंकाइयगं भरेइ भरेत्ता दन्भे य कुसे य पत्तामोडं च समिहाकट्ठाणि य गेण्हइ गिण्हित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता किढिणसंकाइयगं ठवेइ ठवेत्ता वेई वड्लेइ वलेत्ता उवलेवणसंमजणं करेइ करेत्ता दब्भकलसहत्थगए जेणेव गंगा महाणई तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता गंगं मह्मणई ओगाहइ ओगाहेत्ता जलमजणं करेइ करेत्ता जलकिडं करेइ करेत्ता जलाभिसेयं करेइ करेत्ता आयंते चोक्खे परमसुइभूए देवपिउकयकब्जे दम्भकलसहत्थगए गंगाओ महाणईओ पञ्चुत्तरइ पञ्चुत्तरित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता दन्भेहि य कुसेहि य बालुयाए य वेइं रएइ रइत्ता सरयं करेइ करेत्ता अरणिं करेइ करेत्ता सरएणं अरणिं महेइ महित्ता अग्गिं पाडेइ पाडित्ता अग्गिं संधुक्खेइ संधुक्खित्ता समिहाकट्ठाइं पक्खिवइ पक्खिवित्ता अग्गिं उजालेइ उज्जालित्ता अग्गिस्स दाहिणे पासे सत्तंगाई समादहे। तंजहा
सकत्थं वक्कलं ठाणं, सेन्जभण्डं कमण्डलु। दण्डदारं तहप्पाणं, अह ताई समादहे॥१॥
महुणा य घएण य तंदुलेहि य अग्गिं हुणइ, चरुं साहेइ साहित्ता बलिवइस्सदेवं करेइ करेत्ता अतिहिपूयं करेइ करेता तओ पच्छा अप्पणा आहारं आहारेइ॥६६॥ .' कठिन शब्दार्थ - वागलवत्थणियत्थे - वल्कल वस्त्र पहने, उडए - कुटिया, किढिणसंकाइयंकिढिणसंकायिक-कावड़, पुक्खेइ - प्रोक्षण (सिंचन-प्रक्षालन) करता है, पुरत्थिमं - पूर्व, पत्थाणे
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