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उववाइय सुत्त
भावार्थ - अम्बड को गाड़ी आदि यानों में बैठना नहीं कल्पता है। इसी प्रकार 'एगाए गंगाए मट्टियाए' तक कहना चाहिए अर्थात् पहले परिव्राजकों के वर्णन में जो ये विशेषण आ चुके हैं वैसे ही विशेषणों से युक्त 'अम्बड' भी थे। ____ अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पइ-आहाकम्मिए वा उद्देसिए वा मीसजाए इ वा अज्झोयरए इ वा पूइकम्मे इवा कीयगडे इ वा पामिच्चे इ वा अणिसिटे इ वाअभिहडे. इ वा ठइत्तए इ वा रइए इ वा कंतारभत्ते इ वा दुब्भिक्खभत्ते इ वा पाहुणगभत्ते इ वा गिलाणभत्ते इ वा वदलियाभत्ते इ वा भोत्तए वा पाइत्तए वा।
भावार्थ - अपने लिये बनाया हुआ, किसी साधु के लिये बनाया हुआ, साधु और गृहस्थ दोनों के लिये बनाया हुआ, गृहस्थ के बनते हुए भोजन में साधु के लिए कुछ और बढ़ाकर बनाया हुआ, अपने लिए बनाए हुए भोजन-पान के अंश से मिश्रित बना हुआ, अपने लिए खरीदा हुआ, उधार लिया हुआ, घर के व्यक्ति या मुखिया से बिना पूछे दिया जाने वाला, सामने लाकर दिया जाने वाला, अपने लिये ही अलग रखा हुआ, अपने लिये संस्कारित किया हुआ, अटवी उल्लंघन के लिए घर से लाया हुआ पाथेय भाता रूप आहार अथवा भिक्षुकों के निर्वाह के लिये जंगल में संस्कारित किया हुआ, दुर्भिक्ष पीड़ितों के लिए या दुर्भिक्ष के कारण भिक्षुओं के लिये बना हुआ, पाहुने से सम्बन्धित रहा हुआ, रोगी के लिए बना हुआ और दुर्दिन-बादल आदि से आच्छन्न दिन में गरीबों के लिए बना हुआ भोजन-पान, अम्बड : को खाना-पीना नहीं कल्पता है।
अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पइ-मूलभोयणे इ वा जावं बीयभोयणे इ वा भोत्तए वा पाइत्तए वा।
भावार्थ - अम्बड परिव्राजक के मूलभोजन यावत् बीजभोजन करने का कल्प नहीं है।
विवेचन - 'जाव' शब्द से-'कंदभोयणे इ वा' 'फलभोयणे इ वा' और 'हरियभोयणे इ वा' आदि पदों का ग्रहण होता है। अर्थ-कंद से लेकर बीज तक का सचित्त वस्तु का भोजन अम्बड को नहीं कल्पता है। ___ अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स चउविहे अणत्थदंडे पच्चक्खाए जावज्जीवाए। तं जहा-अवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्मोवएसे।
भावार्थ - अम्बड परिव्राजक ने जीवन भर के लिए चार प्रकार के अनर्थदण्ड अर्थात् निरर्थक हिंसक क्रियाएँ छोड़ दी हैं। यथा-बुरे ध्यान का सेवन, प्रमाद-सेवन, हिंसा के साधन अन्य को देना और पाप से होने वाली क्रियाओं के करने का उपदेश देना।
अम्मडस्स कप्पइ मागहए अद्धाढए जलस्स पडिग्गाहित्तए। से वि य वहमाणे णो चेवणं अवहमाणए जाव से वि य पूए, णो चेवणं अपरिपूए।से वि य सावजेत्ति
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