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अध्ययन २ ।
भेत्ता, लुंपइत्ता, विलुंपइत्ता, उहवइत्ता आहारं आहारेइ इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ । __से एगइओ संधि-छेदग-भावं पडिसंधाय, तमेव संधि छेत्ता भेत्ता जाव इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ । ___ से एगइओ गंठि-छेदग-भावं पडिसंभाय, तमेव गंठिं छेत्ता भेत्ता जाव इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ।
से एगइओ उरब्भिय भावं पडिसंधाय, उरब्भं वा अण्णयरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ ।(एसो अभिलावो सव्वत्थ)
से एगइओ सोयरिय-भावं पडिसंधाय, महिसं वा अण्णयरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवः ।
से एगइओ वागुरिय-भावं पडिसंधाय, मियं वा अण्णयरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । . से एगइओ सउणिय-भावं पडिसंधाय, सउणिं वा अण्णयरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । ___ से एगइओ मच्छिय-भावं पडिसंधाय, मच्छं वा अण्णयरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ।
से एगइओ गो-घाय-भावं पडिसंधाय तमेव गोणं वा अण्णयरं वा तसं पाणं , हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । ___ से एगइओ गोवाल-भावं पडिसंधाय, तमेव गोवालं वा परिजविय परिजविय हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ।
से एगइओ सोवणिय-भावं पडिसंधाय, तमेव सुणगं वा अण्णयरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । ___से एगइओ सोवणियंतिय-भावं पडिसंधाय तमेव मणुस्सं वा अण्णयरं वा तसं पाणं हंता जाव आहारं आहारेइ इति से महया पावेहि कम्मेहि अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ वा, अण्णयरं वा, तसं पाणं हंता जाव आहारं आहरइ, इति से महया पावेहि कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ॥३१॥
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