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अध्ययन १ उद्देशक १ 000000000000000000000000०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००० में दुःख है । इन मतवादियों के लिये भोग के साधन जुटाने के प्रयत्नों के सिवाय और कोई साधना की आवश्यकता रहती ही नहीं है। किसी भी तरह से सुखोपभोग कर सकते हैं और कोई असाध्य दु:ख आने पर हत्या का रास्ता खुलते भी देर नहीं हो सकती है। इनके अतिरिक्त वादी उनके दर्शन के ज्ञान से या आचरण से मुक्ति बताते हैं ।
ते णावि संधिं णच्चा णं, ण ते धम्मविओ जणा । जे ते उ वाइणो एवं, ण ते ओहंतराऽऽहिया ॥ २०॥
कठिन शब्दार्थ - ण - नहीं, संधि - संधि को, णच्चा - जान कर, धम्मविओ (धम्मविऊ)धर्म जानने वाले, वाइणो - वादी, ओहंतरा - ओघ-संसार प्रवाह-संसार को पार करने वाला।
भावार्थ - पूर्वोक्त अन्यदर्शनी, सन्धि को जान कर क्रिया में प्रवृत्त नहीं हैं तथा अफलवाद का समर्थन करने वाले वे, संसार को पार करने वाले नहीं कहे गए हैं ।
ते णावि संधिं णच्चा णं, ण ते धम्मविओ जणा । जे ते उ वाइणो एवं, ण ते संसार पारगा ॥ २१॥ कठिन शब्दार्थ - संसार पारगा-संसार को पार करने वाले।
भावार्थ - वे अन्यतीर्थी सन्धि को जाने बिना ही क्रिया में प्रवृत्त होते हैं। वे धर्म के स्वरूप को नहीं जानते हैं तथा पूर्वोक्त सिद्धान्त को मानने वाले वे अन्यतीर्थी संसार को पार नहीं कर सकते हैं ।
ते णावि संधि णच्चा णं, ण ते धम्मविओ जणा । जे ते उ वाइणो एवं, ण ते गब्भस्स पारगा ॥२२॥ कठिन शब्दार्थ - गब्भस्स पारगा - गर्भ को पार करने वाले।
भावार्थ - वे अवतीर्थी सन्धि को जाने बिना ही क्रिया में प्रवृत्त हैं तथा वे धर्मज्ञ नहीं है । एवं पूर्वोक्त मिथ्या सिद्धान्त को मानने वाले वे अन्यतीर्थी गर्भ को पार नहीं कर सकते हैं अर्थात् वे बारम्बार मर कर गर्भ में आते रहते हैं ।। २२॥
ते णावि संधि णच्चा णं, ण ते धम्मविओ जणा।
जे ते उ वाइणो एवं, ण ते जम्मस्स पारगा ॥ २३॥ .. कठिन शब्दार्थ- जम्मस्स पारगा - जन्म को पार करने वाले। .
भावार्थ - वे अन्यतीर्थी सन्धि को जाने बिना ही क्रिया में प्रवृत्त होते हैं और वे धर्म को नहीं जानते हैं । पूर्वोक्त मिथ्यासिद्धान्त की प्ररूपणा करने वाले वे अन्यतीर्थी जन्म को पार नहीं कर सकते हैं ।। २३ ॥
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