SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 146
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्ययन ४ उद्देशक १ १३३ 0000000000. 000000000000000000000000000000000000000०००००० बालस्स मंदयं बीयं, जं च कडं अवजाणइ भुज्जो । दुगुणं करेइ से पावं, पूयणकामो विसण्णेसी ॥ २९॥ कठिन शब्दार्थ - बालस्स - मूर्ख पुरुष की, मंदयं - मूर्खता, बीयं (बीइयं) - दूसरी, अवजाणइ - नकारता है, दुगुणं- द्विगुण, पूयणकामो - पूजा और काम (असंयम) का, विसण्णेसीआकांक्षी । भावार्थ - उस मूर्ख पुरुष की दूसरी मूर्खता यह है कि वह पाप कर्म करके फिर उसे इनकार करता है, इस प्रकार वह दुगुना पाप करता है, वह संसार में अपनी पूजा चाहता हुआ असंयम की इच्छा करता है। संलोकणिज-मणगारं, आयगयं णिमंतणेणासु । वत्थं च ताइ ! पायं वा, अण्णं पाणगं पडिग्गाहे ॥३०॥ कठिन शब्दार्थ - संलोकणिज - संलोकनीय-दिखने में सुंदर-दर्शनीय, आयगयं - आत्मगतआत्मज्ञानी, णिमंतणेण - आमंत्रण से, आहंसु - कहा है, पडिग्गाहे - स्वीकार करें । भावार्थ - देखने में सुन्दर साधु को स्त्रियां आमन्त्रण करती हुई कहती हैं कि हे भवसागर से रक्षा करने वाले साधो ! आप मेरे यहां वस्त्र, पात्र, अन्न और पान ग्रहण करें । णीवारमेवं बुज्झेज्जा, णो इच्छे अगार-मागंतुं । . बद्धे विसय-पासेहि, मोहमावग्जइ पुणो मंदे ॥ त्ति बेमि ।। ३१ ॥ कठिन शब्दार्थ - णीवारं - नीवार-चावल के दानें, एवं - इस प्रकार, बुझेजा - समझे, अगारं - घर को, आगंतुं - आने के लिये, बद्धे - बद्ध-बंधा हुआ, विसय पासेहिं - विषय पाशों से, मोहं - मोह को, आवजइ - प्राप्त होता है । भावार्थ - पूर्वोक्त प्रकार के प्रलोभनों को साधु, सूअर को लुभाने वाले चावल के दानों के समान समझे । विषयरूपी पाश से बँधा हुआ मूर्ख पुरुष मोह को प्राप्त होता है। .. त्ति बेमि - इति ब्रवीमि - ऐसा मैं कहता हूँ । ॥इति पहला उद्देशक ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004188
Book TitleSuyagadanga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages338
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy