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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 देवों के इन्द्र ईशानेन्द्र के सात अनीक और सात अनीकाधिपति कहे गये हैं यथा - पदाति अनीक यावत् गन्धर्वानीक । पदाति अनीक का अधिपति लघुपराक्रम है यावत् नाट्यानीक का अधिपति महाश्वेत है । गन्धर्वानीक का अधिपति रति है। इसी प्रकार बारहवें अच्युत देवलोक तक सब के सात सात अनीक और सात सात अनीकाधिपति जान लेने चाहिए । शेष वर्णन पांचवें ठाणे के अनुसार जानना चाहिए ।
विवेचन- चमरेन्द्र की सात प्रकार की अनीक (सेना) है और सात अनीकाधिपति (सेनापति) हैं।
१. पदाति अनीक - पदाति का अर्थ है पैदल और अनीक का अर्थ है सेना अर्थात् पैदल मनुष्यों की सेना पैदल सेना।
२. पीठानीक - पीठ का अर्थ है अश्व (घोड़ा) अतः पीठानीक अर्थात् अश्वसेना। - ३. कुंजरानीक - कुंजर का अर्थ है हाथी अतः कुंजरानीक अर्थात् हाथियों की सेना। ...
४. महिषानीक - महिष का अर्थ भैंसा अतः महिषानीक अर्थात् भैंसों की सेना।
५. रथानीक - रथ का अर्थ बैलों द्वारा अथवा घोड़ों द्वारा चलाये जाने वाला रथ अतः रथानीक का अर्थात् रथों की सेना।
६. नाट्यानीक - नाटय-का अर्थ है खेल तमाशा करना। अतः खेल तमाशा करने वालों की सेना नाटयानीक कहलाती है। __७. गन्धर्वानीक - गन्धर्व का अर्थ गीत, वाद्य आदि में निपुण व्यक्ति । गीत, वाद्य आदि में निपुण व्यक्तियों की सेना गंधर्वानीक कहलाती है।
अनीक का अर्थ है सेना। इन अनीकाओं के स्वामी को अनीकाधिपति कहते हैं। इन सब अनीकाओं के नाम और अनीकाधिपतियों के नाम इस प्रकार हैं - ...
अनीकाधिपति पदाति अनीक (पदात्यनीक) पीठानीक
सोदामी कुंजरानीक
...
कुन्थु महिषानीक . . .
लोहिताक्ष स्थानीक
किन्नर नाटयानीक '
रिष्ट गन्धर्वानीक
गीतरति इसी प्रकार बलीन्द्र, धरणेन्द्र आदि तथा शक्रेन्द्र, ईशानेन्द्र आदि सभी इन्द्रों की सात सात अनीकायें और सात-सात अनीकाधिपति हैं। जिनका वर्णन भावार्थ में कर दिया गया है।
इसी प्रकार बलीन्द्र, वैरोचनेन्द्र आदि की भी भिन्न भिन्न सेनाएं तथा सेनापति हैं।
अनीक
द्रुम
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