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श्री अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ साहित्य रत्न माला का १७ वाँ रत्न
श्री स्थानांग सूत्र
भाग - २ (स्थान ५-१० )
(शुद्ध मूल पाठ, कठिन शब्दार्थ, भावार्थ एवं विवेचन सहित)
अनुवादक
पं. श्री घेवरचन्दजी बांठिया "वीरपुत्र "
न्याय व्याकरणतीर्थ, जैन सिद्धांत शास्त्री (स्वर्गीय पंडित श्री वीरपुत्र जी महाराज)
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- सम्पादक
नेमीचन्द बांठिया पारसमल चण्डालिया
प्रकाशक
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