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स्थान६
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विवेचन - छह प्रकार का भोजन परिणाम कहा है। यहां परिणाम का अर्थ है - स्वभाव या परिपाक। छह प्रकार के विष परिणामों में पहले तीन विष परिणाम स्वरूप की अपेक्षा और अंतिम तीन कार्य की अपेक्षा है।
आयु बन्ध छविहे आउयबंधे पण्णत्ते तंजहा - जाइणामणिवत्ताउए, गइणामणिवत्ताउए, ठिइणामणिधत्ताउए, ओगाहणाणामणिवत्ताउए, पएसणामणिधत्ताउए, अणुभावणामणिवत्ताउए ।णेरइयाण छव्विहे आउयबंधे पण्णत्ते तंजहा - जाइणामणिवत्ताउए जाव अणुभावणामणिवत्ताउए । एवं जाव वेमाणियाणं । णेरइया णियमा छम्मासावसेसाउया परभवियाउयं पगरेंति, एवामेव असुरकुमारावि जाव थणियकुमारा। असंखेजवासाउया सण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिया णियमं छम्मासावसेसाउया पर भवियाउयं पगरेंति ।असंखेजवासाउया सण्णिमणुस्सा णियमं जाव पगरेंति, वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया जहाणेरइया ।
छह भाव - छविहे भावे पण्णत्ते तंजहा - ओदइए, उवसमिए, खइए, खओवसमिए, परिणामिए, सण्णिवाइए॥५९॥ ___ कठिन शब्दार्थ- आउयबंधे - आयु बन्ध, ओगाहणाणामणिधत्ताउए - अवगाहना नाम निधत्त. आयु, छम्मासावसेसाउया - छह मास आयु शेष रहने पर, परभवियाउयं - परभव का आयुष्य, ओदइएऔदयिक, उवसमिए - औपशमिक, खइए - क्षायिक, खओवसमिए - क्षायोपशमिक, परिणामिए - पारिणामिक, सण्णिवाइए - सान्निपातिक।
- भावार्थ - आयुबन्ध छह प्रकार का कहा गया है । यथा - १. जाति नाम निधत्त आयु - एकेन्द्रियादि जाति नामकर्म के साथ 0 निषेक को प्राप्त हुआ जाति नाम निधत्तायु है। २. गतिनामनिधत्तआयु- नरक आदि गति नाम कर्म के साथ निषेक को प्राप्त आयु गति नाम निधत्तायु है । ३. स्थिति नामनिधत्तायु - आयुकर्म द्वारा जीव का विशिष्ट भव में रहना स्थिति है । स्थिति रूप परिणाम के साथ निषेक को प्राप्त आयु स्थिति नाम निधत्तायु है । ४. अवगाहना नाम निधत्त आयु - औदारिकादि शरीर नाम कर्म रूप अवगाहना के साथ निषेक को प्राप्त आयु अवगाहना नाम निधत्त आयु है । ५. प्रदेशनाम निधत्त आयु - प्रदेश नाम के साथ निषेक प्राप्त आयु प्रदेश नाम निधत्तायु है ।
0 निषेक - फल भोग के लिए होने वाली कर्मपुद्गलों की रचना विशेष को निषेक कहते हैं ।
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