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________________ [13] २८९-२९२ विषय नो कषाय वेदनीय कुल कोटि पापकर्म संचित पुद्गल । पुद्गलों की अनन्तता दसवाँ स्थान लोकस्थिति शब्द व इन्द्रियों के विषय . अच्छिन्न पुद्गल चलन क्रोधोत्पत्ति के कारण संयम-असंयम संवर-असंवर मद के कारण समाधि-असमाधि प्रव्रज्या के दस भेद . श्रमण धर्म वैयावृत्य भेद. . . जीव परिणाम . .... . अजीव परिणाम अंतरिक्ष संबंधी अस्वाध्याय . औदारिक अस्वाध्याय पंचेन्द्रिय जीवों का संयम-असंयम सूक्ष्म दस महानदियाँ दस दस राजधानियाँ दीक्षित दस राजा दस दिशाएँ लवण समुद्र और पाताल कलश पृष्ठ विषय २८४-२८५ / दस क्षेत्र और पर्वत २८४-२८५ / द्रव्यानुयोग के दस भेद २८४-२८५ उत्पात पर्वत २८४-२८५ अवगाहना दस अनन्तक २८६-२८८ प्रतिसेवना दस २८८-२८९ | आलोचना और प्रायश्चित्त मिथ्यात्व दस. २८९-२९२ तीर्थकर और वासुदेव स्थिति दस भवनवासी देव २८९-२९२ सुख के दस प्रकार . २९२-२९७ उपघात दस २९२-२९७ दस विशुद्धि |संक्लेश असंक्लेश २९२-२९७ बल के दस भेद २९२-२९७ सत्य के दस प्रकार २९२-२९७ मृषा वचन के दस प्रकार २९२-२९७ मिश्र वचन के भेद २९७-३०० दृष्टिवाद के दस नाम २९७-३०० |शस्त्र दस २८९-२९२ पृष्ठ ३०२-३०६ ३०६-३०७ ३०७-३०८ ३०८-३१४ ३०८-३१४ ३०८-३१४ ३०८-३१४ ३१४-३२१ ३१४-३२१ ३१४-३२१ ३१४-३२१ ३१४-३२१ ३१४-३२१ ३२१-३२३ ३२१-३२३ ३२३-३२५ ३२३-३२५ ३२३-३२५ ३२५-३२८ ३२५-३२८ ३२५-३२८ ३२५-३२८ ३२८-३३५ ३२८-३३५ ३२८-३३५ ३२८-३३५ ३२८-३३५ २९७-३२० दोष दस ३००-३०२ विशेष भेद ३००-३०२ शुद्ध वचन अनुयोग ३००-३०२/दान के दस प्रकार .. गति दस ३००-३०२ . ३०२-३०६ / मुण्ड दस ३०२-३०६ संख्यान दस Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004187
Book TitleSthananga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages386
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size8 MB
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