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श्री स्थानांग सूत्र
संयम। अथवा बादर सम्पराय सराग संयम दो प्रकार का कहा गया है यथा उपशम श्रेणी वाले जीव का संयम प्रतिपाती और क्षपक श्रेणी वाले जीव का संयम अप्रतिपाती। वीतराग संयम दो प्रकार का कहा गया है यथा उपशान्त कषाय वीतराग संयम यानी ग्यारहवें गुणस्थानवर्ती जीव का संयम और क्षीण कषाय वीतराग संयम यानी बारहवें गुणस्थानवर्ती जीव का संयम। उपशान्त कषाय वीतराग संयम दो प्रकार का कहा गया है यथा जिस जीव को ग्यारहवें गुणस्थान में गये सिर्फ एक समय हुआ है उसका संयम प्रथम समय उपशान्त कषाय वीतराग संयम और जिस जीव को ग्यारहवें गुणस्थान में गये एक समय से अधिक समय हो गया है उसका संयम अप्रथम समय उपशान्त कषाय वीतराग संयम। अथवा चरम समय उपशान्त कषाय वीतराग संयम और अचरम समय उपशान्त कषाय वीतराग संयम। क्षीण कषाय वीतराग संयम दो प्रकार का कहा गया है यथा - छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग संयम और केवलि क्षीण कषाय वीतराग संयम। छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग संयम दो प्रकार का कहा गया है यथा गुरु के उपदेश के बिना ही जातिस्मरण आदि ज्ञान से स्वयं प्रतिबोध पाकर कषायों को क्षीण करने वालों का संयम स्वयंबुद्ध छदस्थ क्षीण कषाय वीतराग संयम और गुरु के उपदेश से प्रतिबोध प्राप्त करके कषायों को क्षीण करने वालों का संयम बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग संयम। स्वयंबुद्ध छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग संयम दो प्रकार का कहा गया है यथा-'प्रथम समय स्वयंबुद्ध छास्थ क्षीण कषाय वीतराग और अप्रथम समय स्वयंबुद्ध छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग संयम। अथवा चरम समय स्वयंबुद्ध छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग संयम और अचरम समय स्वयंबुद्ध छदस्थ क्षीण कषाय वीतराग संयम। बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग संयम दो प्रकार का कहा गया है यथा - प्रथम समय बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग संयम और अप्रथम समय बुद्धबोधित छदस्थ कषाय वीतराग संयम। अथवा चरम समय बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीण कपाय वीतराग संयम और अचरम समय बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग संयम। केवलि क्षीण कषाय वीतराग संयम दो प्रकार का कहा गया है यथा - सयोगि केवलि क्षीण कषाय वीतराग संयम और अयोगि केवलि क्षीण कषाय वीतराग संयम। सयोगि केवलि क्षीण कषाय वीतराग संयम दो प्रकार का कहा गया है यथा - प्रथम समय सयोगि केवलि क्षीणकषाय वीतराग संयम और अप्रथम समय सयोगि केवलि क्षीणकषाय वीतराग संयम। अथवा चरम समय सयोगि केवलि क्षीणकषाय वीतराग संयम और अचरम समय सयोगि केवलि क्षीणकषाय वीतराग संयम। अयोगी केवलि क्षीणकषाय वीतराग संयम दो प्रकार का कहा गया है यथा - प्रथमसमय अयोगी केवलि क्षीणकषाय वीतराग संयम और अप्रथम समय अयोगी केवलि क्षीणकषाय वीतराग संयम। अथवा चरम समय अयोगी केवलि क्षीणकषाय वीतराग संयम और अचरम समय अयोगी केवलि क्षीणकषाय वीतराग संयम।
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