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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 यथा अवसर दान देता हैं किन्तु बिना अवसर दान नहीं देता है । इसी तरह चौभङ्गी कह देनी चाहिए । चार प्रकार के मेघ कहे गये हैं यथा - कोई एक मेघ क्षेत्र में बरसता है किन्तु अक्षेत्र में नहीं बरसता है। कोई एक मेघ अक्षेत्र में बरसता है किन्तु क्षेत्र में नहीं बरसता है । कोई एक मेघ क्षेत्र में भी बरसता है और अक्षेत्र में भी बरसता है । कोई एक मेघ न तो क्षेत्र में बरसता है और न अक्षेत्र में बरसता है। इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं । यथा - कोई एक पुरुष पात्र को दान देता है । किन्तु अपात्र को दान नहीं देता है । कोई एक पुरुष अपात्र को दान देता है किन्तु पात्र को दान नहीं देता है । कोई एक पुरुष महान् उदारता के कारण अथवा प्रवचन की प्रभावना के लिए पात्र और अपात्र सभी को दान देता है । कोई एक पुरुष न तो पात्र को दान देता है और न अपात्र को दान देता है अर्थात् दान देने में प्रवृत्ति ही नहीं करता है । चार प्रकार के मेघ कहे गये हैं । यथा- कोई एक मेघ पहले वरस कर धान को उत्पन्न करता है किन्तु पीछे बरस कर धान को निपजाता नहीं है । कोई एक मेघ धान को निपजाता है किन्तु उपजाता नहीं है । कोई एक मेघ उपजाता भी है और निपजाता भी है । कोई एक मेघ न तो उपजाता है और न निपजाता है । इसी तरह चार प्रकार के माता-पिता कहे गये हैं। यथा - कोई माता पिता पुत्र को जन्म देते हैं किन्तु उसका पालन पोषण नहीं करते हैं । कितनेक पालन पोषण करते हैं . किन्तु जन्म नहीं देते हैं । कोई जन्म भी देते हैं और पालन पोषण भी करते हैं । कोई न तो जन्म देते हैं
और न पालन पोषण करते हैं । इसी प्रकार गुरु के विषय में भी समझना चाहिए । यथा- कोई गुरु शिष्य को दीक्षा देते हैं किन्त पढाते नहीं है । कोई पढाते हैं किन्त दीक्षा नहीं देते हैं । कोई टीना श्री देते हैं और पढ़ाते भी हैं । कोई न तो दीक्षा देते हैं और न पढ़ाते हैं । चार प्रकार के मेघ कहे गये हैं । यथा - कोई एक मेघ एक देश में बरसता है किन्तु सब जगह नहीं बरसता है । कोई एक मेघ सब जगह बरसता है किन्तु एक जगह नहीं बरसता है । कोई एक मेघ एक जगह में भी बरसता है और सब जगह भी बरसता है कोई एक मेघ न तो एक जगह बरसता है और न सब जगह बरसता है । इसी तरह चार प्रकार के राजा कहे गये हैं । यथा - कोई राजा एक देश का स्वामी है किन्तु सब देश का स्वामी नहीं है । कोई एक राजा सब देश का स्वामी है किन्तु एक देश यानी पल्ली आदि का स्वामी नहीं है । कोई एक राजा एक देश का स्वामी भी है और सब देश का स्वामी भी है । कोई एक राजा न तो एक देश का स्वामी है और न सब देश का स्वामी है राज्य से च्युत ।
विवेचन - मेघ चार - १. कोई मेघ गर्जते हैं पर बरसते नहीं। २. कोई मेघ गर्जते नहीं हैं पर बरसते हैं। ३. कोई मेघ गर्जते भी हैं और बरसते भी हैं। ४. कोई मेघ न गर्जते हैं और न बरसते हैं।
मेघ की उपमा से पुरुष के चार प्रकार -
१. कोई पुरुष दान, ज्ञान, व्याख्यान और अनुष्ठान आदि की मात्र बातें करते हैं पर करते कुछ भी नहीं।
२. कोई पुरुष उक्त कार्यों के लिए अपनी बड़ाई तो नहीं करते पर कार्य करने वाले होते हैं।
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