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स्थान ४ उद्देशक १
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सुरूवा, सुभगा, एवं पडिलवस्स वि । पुण्णभहस्स णं जक्खिंदस्स जक्खरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तंजहा - पुत्ता, बहुपुत्तिया, उत्तमा, तारगा, एवं मणिभहस्स वि । भीमस्स णं रक्खसिंदस्स रक्खसरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तंजहा - पउमा, वसुमई, कणगा, रयणप्पभा, एवं महाभीमस्स वि । किण्णरस्स णं किण्णरिंदस्स किण्णरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तंजहा - वडिंसा, केउमई, रइसेणा, रइप्पभा, एवं किंपुरिसस्स वि । सप्पुरिसस्स णं किंपुरिसिंदस्स किंपुरिसरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तंजहा रोहिणी, णवमिया, हिरी, पुप्फवई । एवं महापुरिसस्सवि । अइकायस्स णं महोरगिंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओं तंजहा - भुयगा, भुयगवई, महाकच्छा, फुडा, एवं महाकायस्स वि । गीयरइस्स णं गंधव्विंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तंजहा - सुघोसा, विमला, सुस्सरा, सरस्सई । एवं गीयजसस्सवि । चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तंजहा - चंदम्यभा, दोसिंणाभा, अच्चिमाली, पभंकरा, एवं सूरस्स वि । णवरं सूरप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा । इंगालस्स णं महागहस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तंजहा - विजया, वेजयंती, जयंती, अपराजिया, एवं सव्वेसिं महागहाणं जाव भावकेउस्स । सक्कस्स णं देविंदस्स देवरणो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तंजहा - रोहिणी मयणा चित्ता सोमा एवं जाव वेसमणस्स । ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तंजहा पुढवी, राई, रयणी, विजू । एवं जाव वरुणस्स ॥ १४२ ॥
कठिन शब्दार्थ - अग्गमहिसीओ - अग्रमहिषियाँ राजराणियाँ, महागहस्स भावकेउस्स- भावकेतु के ।
भावार्थ - असुरकुमारों के राजा, असुरकुमारों के इन्द्र दक्षिण दिशा के चमर का सोम नामक जो लोकपाल है उसके चार अग्रमहिषियाँ - राज राणियाँ कही गई है यथा- कनका, कनकलता, चित्रगुप्ता और वसुंधरा । इसी प्रकार यम वरुण और वैश्रमण, इन लोकपालों के भी उक्त नामों वाली चार चार अग्रमहिषियाँ हैं। वैरोचन असुरों के राजा, वैरोचन असुरों के इन्द्र उत्तर दिशा के बलि का सोम नामक जो लोकपाल हैं उसके चार अग्रमहिषियाँ कही गई है यथा मित्रगा, सुभद्रा, विदयुत् और अशनी ।
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महाग्रह के,
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