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स्थान २ उद्देशक ३
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१. दो अग्नि, २. दो प्रजापति, ३. दो सोम, ४. दो रुद्र, ५. दो अदिति, ६. दो बृहस्पति, ७. दो सर्पि, ८. दो पितर, ९. दो भग, १०. दो अर्यमा, ११. दो सविता, १२. दो त्वष्टा, १३. दो वायु, १४. दो इन्द्राग्नि, १५. दो मित्र, १६. दो इन्द्र, १७. दो निर्ऋति, १८. दो आप, १९. दो विश्व, २०. दो ब्रह्मा, २१. दो विष्णु, २२. दो बसु, २३. ,दो वरुण, २४. दो अज, २५. दो विवृद्धि, २६. दो पूषा, २७. दो अश्विन, २८. दो यम।
अब ८८ ग्रहों के नाम कहे जाते हैं - १. अङ्गारक, २. ब्यालक, ३. लोहिताक्ष, ४. शनैश्चर, ५. आहुनिक, ६. प्राहुनिक, ७. कण, ८. कनक, ९. कनकनक, १०. कनकवितानक, ११. कनकसंतानक, १२. सोम, १३. सहित, १४. आश्वासन, १५. कार्योपक, १६. कर्बट, १७. अयस्कर, १८. दुंदुभक, १९. शंख, २०. शंखवर्ण, २१. शंखवर्णाभ, २२. कंस, २३. कंसवर्ण, २४. कंसवर्णाभ, २५. रुक्मी, २६. रुक्माभासा, २७. नील, २८. नीलाभास २९. भास, ३०. भासराशि तिल, ३१. तिलपुष्पवर्ण, ३२., दग, ३३. दगपंचवर्ण, ३४. काक, ३५. काकान्ध, ३६. इन्द्राग्नि, ३७. धूमकेतु, ३८. हरि, ३९. पिङ्गल, ४०. बुद्ध, ४१. शुक्र, ४२.,बृहस्पति, ४३. राहु, ४४. अगस्त्य, ४५. माणवक, ४६. कास, ४७. स्पर ४८. धुर, ४९. प्रमुख, ५०. विकट, ५१. विसंधि, ५२. नियल, ५३. पइल, ५४. जरितालक, ५५. अरुण, ५६. अगिलक, ५७. काल, ५८. महाकाल, ५९. स्वस्तिक, ६०. सौवस्तिक, ६१. वर्धमान 'अथवा पुष्यमान अथवा अंकुश, ६२. प्रलम्ब, ६३. नित्यलोक, ६४. नित्योदयोत, ६५. स्वयंप्रभ, ६६. अवभास, ६७. श्रेयस्कर, ६८. क्षेकर, ६९. आभंकर, ७०. प्रभंकर, ७१. अपराजित, ७२. अरज, ७३. अशोक, ७४. विगतशोक, ७५. विमल, ७६. विमुख, ७७. वितत, ७८. वितथ, ७९. विशाल, ८०. शाल, ८१. सुव्रत, ८२. अनिवर्त, ८३. एकजटी, ८४. द्विजटी, ८५. करकरिक, ८६. राजगल, ८५. पुष्पकेतु, ८८. भावकेतु। ये ८८ महाग्रह हैं। इन प्रत्येक के दो दो भेद होते हैं। - विवेचन - चन्द्रमा सौम्य (शांत) प्रकाश वाला होने से उसके लिये प्रकाशित होना कहा है। जबकि सूर्य की किरणें तीक्ष्ण होने से उसके लिए तपना कहा है। तीनों कालों में प्रकाश का कथन करने से सर्वकाल पर्यंत चन्द्रादि भावों का अस्तित्वपना सिद्ध होता है। जम्बूद्वीप में दो चन्द्रमा और दो सूर्य होने से उनका परिवार भी दुगुना दुगुना समझना चाहिये। अट्ठाईस नक्षत्रों के २८ देवताओं के नाम भावार्थ में दे दिये हैं। एक-एक चन्द्रमा के और एक-एक सूर्य के २८-२८ नक्षत्र और ८८-८८ ग्रह होते हैं। परन्तु यहाँ दो स्थान का वर्णन होने से दो-दो नक्षत्र और दो-दो ग्रहों का कथन किया गया है।
जंबूद्दीवस्स णं दीवस्स वेइया दो गाउयाइं उइं उच्चत्तेणं पण्णत्ता। लवणे णं समुद्दे दो जोयणसयसहस्साई चक्कवाल विक्खंभेणं पण्णत्ते। लवणस्स णं समुहस्स . वेइया दो गाउयाइं उठें उच्चत्तेणं पण्णत्ता॥ ३९॥
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