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________________ २२ आचारांग सूत्र द्वितीय श्रुतस्कंध .00000rserstittweetstressssssssssssssssss.kkkrrrrrrrrrrr. गिरिमहेसु वा, दरिमहेसु वा, अगडमहेसु वा, तडागमहेसु वा, दहमहेसु वा, णईमहेसु वा, सरमहेसु वा, सागरमहेसु वा, आगरमहेसु वा, अण्णयरेसु वा, तहप्पगारेसु विरूवरूवेसु महामहेसु वट्टमाणेसु बहवे समण माहण अतिहिकिवण वणीमगे एगाओ उक्खाओ परिएसिज्जमाणे पेहाए दोहिं जाव संणिहि संणिचयाओ वा परिएसिज्जमाणे पेहाए तहप्पगारं असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा अपुरिसंतरकडं जाव णो पडिग्गाहिज्जा॥ अह पुण एवं जाणिज्जा दिण्णं जं तेसिं दायव्वं, अह तत्थ भुंजमाणे पेहाए गाहावइ भारियं वा, गाहावइ भगिणिं वा, गाहावइपुत्तं वा, गाहावइधूयं वा, सुण्हं वा, धाईवा, दासं वा, दासिं वा, कम्मकरं वा, कम्मकरि वा, से पुव्वामेव आलोइज्जा आउसोत्ति ! वा भगिणि त्ति वा दाहिसि मे इत्तो अण्णयरं भोयणजायं, से सेवं वयंतस्स परो असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहट्ट दलइज्जा तहप्पगारं असणं वा पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा, सयं वा पुण जाइज्जा परो वा से दिज्जा फासुयं जाव पडिग्गाहिज्जा। कठिन शब्दार्थ - समवाएसु - जन समुदाय में, पिंडणियरेसु - पितृ पिण्ड-मृतक भोजन, श्राद्ध में, इंदमहेसु - इन्द्र महोत्सव में, खंदमहेसु - स्कन्द कार्तिकेय महोत्सव में, रुद्दमहेसु वा - रुद्र महोत्सव में, मुगंद - मुकुन्द (बलदेव), भूय - भूत, जक्ख - यक्ष, णाग - नाग, चेइय - चैत्य, थूभ - स्तूप, रुक्ख- वृक्ष, गिरि - पर्वत, दरि - गुफा, अगड - कूप, तडाग - तालाब, दह- हृद, णई - नदी, सर- सर, सागर - सागर, आगरआकर, महामहेसु - महा-महोत्सवों में, दायव्वं - देने योग्य, दिण्णं- दिया गया हो, भुंजमाणे - खाते हुओं को, गाहावइभारियं - गृहपति की भार्या को गाहावइ भगिणिं - गृहपति की बहिन को, गाहावइ पुत्तं - गृहपति के पुत्र को, धूयं - पुत्री को, सुण्हं - पुत्र वधू को, धाइं- धात्री को, दासं - दास को, दासी - दासी को, कम्मकरं - कर्मचारी (नौकर) को, कम्मकरि - नौकराणी को, से - वह, पुव्वामेव - पहले, आलोइजा - देखकर, आउसोत्ति - हे आयुष्यमन् !, आउसि - हे आयुष्यमति!, भगिणि - भगिनि!, इत्तो - इस, भोयणजायं - भोजन के समूह में से, दाहिसि - देओगी, वयंतस्स - बोलते हुए, दलइजा - देवे, सयं - स्वयं, जाइजा - याचना करे, परो- दूसरा, दिजा - देवे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004185
Book TitleAcharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages382
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size8 MB
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