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आचारांग सूत्र द्वितीय श्रुतस्कंध
जूहियट्ठाणाणि वा, हयजूहियट्ठाणाणि वा, गयजूहियट्ठाणाणि वा, अण्णयराई तहप्पगाराइं सद्दाई णो अभिसंधारिज्जा गमणाए॥१६९॥
भावार्थ - साधु या साध्वी कई प्रकार के शब्द सुनते हैं जैसे कि - युगल स्थानों-वर वधू के मिलने के स्थानों (विवाह मण्डपों) में तथा वर वधू के लिये गाये जाने वाले गीतों के स्थानों में, अश्व युगल स्थानों में, हस्ति युगल स्थानों में तथा इसी प्रकार के अन्य स्थानों में होने वाले शब्दों को सुनने की दृष्टि से जाने का मन से भी संकल्प न करे।
से भिक्खू वा भिक्खुणी वा जाव सुणेइ तंजहा - अक्खाइयट्ठाणाणि वा, माणुम्माणियट्ठाणाणि वा, महया आहयणट्ट-गीय-वाइय-तंति-तलताल-तुडियपडुप्पवाइयट्ठा-णाणि वा अण्णयराई वा तहप्पगाराइंणो अभिसंधारिग्जा गमणाए॥
कठिन शब्दार्थ - अक्खाइयट्ठाणाणि - कथा कहने के स्थानों में, माणुम्माणियट्ठाणाणि- मान-उन्मान-तोल माप करने के स्थानों में। ..भावार्थ - साधु या साध्वी कई प्रकार के शब्द सुनते हैं जैसे कि - कथा कहने के स्थानों में, तोल माप करने के स्थानों में अथवा जहां बड़े बड़े नृत्य, नाट्य, गीत, वाद्य, तंत्री, तल, ताल, त्रुटित, वादिन्त्र, ढोल बजाने आदि के आयोजन होते हैं ऐसे स्थानों में तथा इसी प्रकार के अन्य स्थानों में होने वाले शब्दों को सुनने के लिये जाने का मन से भी
संकल्प न करे।
से भिक्खू वा भिक्खुणी वा जाव सुणेइ तंजहा - कलहाणि वा, डिंबाणि वा, डमराणि वा, दोरज्जाणि वा, वेररज्जाणि वा, विरुद्धरजाणि वा, अण्णयराइं वा तहप्पगाराइं णो अभिसंधारिज्जा गमणाए॥
भावार्थ - साधु या साध्वी कई प्रकार के शब्द सुनते हैं जैसे कि - जहां कलह होते हों, शत्रु सेना का भय हों, देश के भीतर या बाहर विप्लव हो, दो राज्यों के परस्पर विरोधी स्थान हों, वैर के स्थान हों, विरोधी राजाओं के राज्य हों तथा इसी प्रकार के अन्य स्थानों पर होने वाले शब्दों को सुनने की दृष्टि से जाने का मन से भी संकल्प न करे।
से भिक्खू वा भिक्खुणी वा जाव सद्दाइं सुणेइ तंजहा - खुड्डियं दारियं
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