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________________ २५२ __ आचारांग सूत्र द्वितीय श्रुतस्कंध करके औद्देशिक दोष युक्त बनाया है तो इस प्रकार का स्थंडिल जब तक अपुरुषान्तरकृत है अर्थात् किसी के भोगने में नहीं आया है तब तक इस प्रकार की स्थंडिल भूमि में या अन्य उस प्रकार के दोषों से युक्त स्थंडिल में मल मूत्र का त्याग न करे। यदि साधु या साध्वी यह जान ले कि यह स्थंडिल पुरुषान्तरकृत है यावत् अन्य लोगों के द्वारा भोगा हुआ है तो इस प्रकार के स्थंडिल में साधु साध्वी मल मूत्र का त्याग कर सकते हैं। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा अस्सं (अस्सिं) पडियाए कयं वा कारियं वा पामिच्चियं वा छण्णं वा घटुं वा मटुं वा लित्तं वा समटुं वा संपधूमियं वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरिज्जा। __ कठिन शब्दार्थ - कयं - किया, कारियं - कराया, पामिच्चियं - उधार लिया हो, संपधूमियं - अगरबत्ती आदि धूप से सुवासित किया हो। भावार्थ - साधु या साध्वी इस प्रकार जाने कि किसी गृहस्थ ने साधु के लिये स्थंडिल बनाया है या बनवाया है अथवा उधार लिया है उस पर छत डाली है, संवारा है, विशेष रूप से संवारा है, लीपा पोता है, समतल किया है या दुर्गन्ध दूर करने के लिये धूप से सुवासित किया है इस तरह का अन्य कोई सदोष स्थंडिल हो तो तथा प्रकार के स्थंडिल में साधु साध्वी मल मूत्र को न परठे। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा से जं पुण थंडिलं जाणिज्जा, इह खलु गाहावई वा गाहावइपुत्ता वा कंदाणि वा मूलाणि वा जाव हरियाणि वा अंताओ वा बाहिं णीहरंति बहियाओ वा अंतो साहरंति अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चारपासवणं वोसिरिज्जा॥ कठिन शब्दार्थ - साहरंति - रखते हैं। भावार्थ - साधु या साध्वी ऐसे स्थंडिल को जाने कि गृहपति या गृहपति के पुत्र साधु साध्वी के लिए कंद, मूल यावत् हरी वनस्पति को अंदर से बाहर निकालते हैं अथवा बाहर से अंदर रखते हैं अथवा अन्य कोई इसी प्रकार का सदोष स्थंडिल है तो तथा प्रकार के स्थंडिल में साधु साध्वी मल मूत्र का त्याग न करे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004185
Book TitleAcharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages382
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size8 MB
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