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अध्ययन ६ उद्देशक १
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से भिक्खू वा भिक्खुणी वा से जं पुण पायं जाणिज्जा अस्सिं (अस्सं) पडियाए एगं साहम्मियं समुद्दिस्स पाणाई भूयाइं जीवाई सत्ताई जहा पिंडेसणाए चत्तारि आलावगा पंचमे बहवे समणमाहणा पगणिय पगणिय तहेव॥से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अस्संजए भिक्खुपडियाए बहवे समण माहणा वत्थेसणाऽऽलावओ। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा से जाइं पुण पायाइं जाणिजा विरूवरूवाइं महद्धणमुल्लाइं तंजहा - अयपायाणि वा तउपायाणि वा तंबपायाणि वा सीसगपायाणि वा हिरण्णपायाणि वा सुवण्णपायाणि वा रीरिअपायाणि वा हारपुडपायाणि वा मणिकायकंसपायाणि वा संखसिंगपायाणि दंतपायाणि वा चेलपायाणि वा सेलपायाणि वा चम्मपायाणि वा अण्णयराइं वा तहप्पगाराई विरूवरूवाइं महद्धणमुल्लाइं पायाइं अफासुयाइं जाव णो पडिगाहिजा॥ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा से जाइं पुण पायाइं जाणिज्जा विरूवरूवाई महद्धणबंधणाइं तंजहा - अयबंधणाणि वा जाव चम्मबंधणाणि वा अण्णयराइं तहप्पगाराइं महद्धणबंधणाई अफासुयाइं जाव णो पडिगाहिज्जा॥ __ कठिन शब्दार्थ - अयपायाणि - लोहे के पात्र, तउपायाणि - रांगे के पात्र, तंबपायाणि - तांबे के पात्र, सीसगपायाणि - सीसे के पात्र, हिरण्णपायाणि - चांदी के पात्र, सुवण्णपायाणि - सोने के पात्र, रीरिअपायाणि - पीतल के पात्र, हारपुडपायाणि - लोहे विशेष (स्टील) के पात्र, मणिकायकंसपायाणि - मणि, कांच और कांसी के पात्र, संखसिंगपायाणि - शंख और शृंग के पात्र, दंतपायाणि - दांत के पात्र, चेलपायाणि - वस्त्र के थैलीनुमा पात्र, सेलपायाणि - पत्थर के पात्र, चम्मपायाणि - चर्म के पात्र (चमड़े की कुप्पी जैसा)।
भावार्थ - साधु या साध्वी पात्र के विषय में जाने कि साधु साध्वी को देने की प्रतिज्ञा से किसी गृहस्थ ने एक साधर्मी साधु साध्वी का उद्देश्य रख कर अर्थात् साधु साध्वी के निमित से प्राणी भूत जीव और सत्त्व का समारंभ करके पात्र बनवाया है, शेष वर्णन जैसे पिण्डैषणा अध्ययन में किया गया है उसी तरह चार आलापक जानने चाहिये। पांचवें आलापक में बहुत से शाक्यादि श्रमण, ब्राह्मण आदि के लिए अर्थात् उनका उद्देश्य रख कर पात्र
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