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________________ १२८ आचारांग सूत्र द्वितीय श्रुतस्कंध •••••••••••••••••••••••••••••rrrrrrrrrrrror.............. भावार्थ - इस जगत् में पूर्वादि दिशाओं में रहे हुए कई धर्म श्रद्धालु गृहस्थ छह काय की हिंसा करके, अनेक पाप कर्म करके अपने लिए मकान बनवाते हैं। ऐसे मकानों में जाकर जो मुनि निवास करते हैं (उतरते हैं) वो एक पक्षी कर्म का सेवन करते हैं। इस प्रकार की अल्प सावध क्रिया वसति कहलाती हैं। यह सभी साधु-साध्वियों का सम्पूर्ण आचार है। विवेचन - कुछ हस्त लिखित प्रतियों में उक्त नव क्रियाओं की एक गाथा भी मिलती है जो इस प्रकार है - कालाइक्कंतु १ वडाण २ अभिकंता ३ चेव अणभिकंता ४ य।' वज्जा य५ महावज्जा ६ सावज ७ मह ८ अप्पकिरिया ९ य॥ छाया - कालातिक्रान्ता उपस्थाना अभिक्रान्ता चैवानभिक्रान्ता च। वया॑ च महावा सावद्या महासावद्या अल्पक्रिया च॥ अर्थ - नौ प्रकार की शय्या (वसति) के नाम इस प्रकार हैं - १. कालातिक्रान्ता २. उपस्थाना ३. अभिक्रान्ता ४. अनभिक्रान्ता ५. वा ६. महावा ७. सावधा ८. महासावद्या और ९. अल्प सावध क्रिया। बृहत्कल्प भाष्य में भाष्यकार ने और वृत्तिकार ने वहाँ इन नौ शय्याओं का लक्षण देकर विस्तृत वर्णन दिया है वह संक्षिप्त में इस प्रकार है। १. कालातिक्रान्ता - वह शय्या है जहाँ साधु ऋतुबद्ध (मासकल्प-शेष) काल और वर्षा काल (चौमासे) में रहे हों, ये दोनों काल पूर्ण होने पर भी वहाँ से विहार न करके वहीं ठहर जाय। । २. उपस्थाना - ऋतुबद्धवास और वर्षावास का जो काल नियत है, उससे दुगुणा काल अन्यत्र बीताए बिना ही अगर पुनः उसी उपाश्रय में आकर साधु ठहरते हैं तो वह उपस्थाना शय्या कहलाती है। ३. अभिक्रान्ता - जो शय्या (धर्मशाला) सार्वजनिक और सर्वकालिक (यावन्तिकी) है, उसमें पहले से चरक, पाषण्ड, गृहस्थ आदि ठहर चुके हैं, बाद में निर्ग्रन्थ साधु साध्वी भी आकर ठहर जाते हैं तो वह अभिक्रान्ता-शय्या कहलाती है। ४. अनभिक्रान्ता - वैसी ही सार्वजनिक-सर्वकालिक (यावन्तिकी) शय्या (धर्मशाला) में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004185
Book TitleAcharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages382
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size8 MB
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