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अनुयोगद्वार सूत्र
८. प्रत्यय - यह शब्द निमित्त का सूचक है। भगवान् महावीर ने प्रत्यय-नैमित्तिक प्रेरणा से सामायिक का उपदेश दिया। केवलज्ञान - सर्वज्ञत्व प्राप्त होने से भगवान् ने सामायिक चारित्र का उद्बोधन प्रदान किया है। भगवान् केवली हैं, इस प्रतीति से भव्य जीवों ने श्रवण किया। ____६. लक्षण - इसका तात्पर्य सामायिक के लक्षण का कथन करना है। जैसे सम्यक्त्व, सत् तत्त्वों की श्रद्धा, श्रुतसामायिक का स्वरूप, जीवादि तत्त्वों का परिज्ञान, चारित्र सामायिक का सर्वसावध विरतिमूलक रूप इनके लक्षण का बोध तथा देश चारित्र रूप सामायिक का विरतिअविरति का लक्षण इसके अन्तर्गत है।
१०. नय - नैगम आदि नयों के सिद्धान्तानुसार सामायिक कैसे होती है? जैसे व्यवहारनय से पाठ रूप सामायिक होती है तथा तीन शब्दनयों के अनुसार जीवादि पदार्थ ज्ञान रूप सामायिक होती है।
११. समवतारानुमत - नैगम आदि नयों का जहाँ समवतार, अन्तर्भाव या समावेश संभावित हो, वहाँ उसका निर्देश करना।
कौन नय, किस सामायिक को मोक्षमार्ग रूप मानता है? जैसे - नैगम, संग्रह एवं व्यवहारनय तप-संयमरूप चारित्र सामायिक को, निर्ग्रन्थ प्रवचन रूप श्रुतसामायिक को एवं तत्त्वश्रद्धानयुक्त सम्यक्त्व सामायिक को मोक्षमार्ग मानते हैं।
ऋजुसूत्र, शब्द, समभिरूढ तथा एवंभूत नय संयम रूप चारित्र सामायिक को ही मोक्षमार्ग स्वरूप मानते हैं क्योंकि सर्वसंवरमय चारित्र के अनंतर ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस प्रकार समवतारानुमत के अनुसार नयप्रयोग की यह पद्धति है।
१२. किम् - सामायिक क्या है?
द्रव्यार्थिक नय के अनुसार सामायिक जीवद्रव्य है तथा पर्यायार्थिक नयानुसार सामायिक जीव का गुण है।
१३. कितने तरह की - सामायिक कितने तरह की है?
सामायिक तीन तरह की है - १. सम्यक्त्व सामायिक २. श्रुत सामायिक तथा ३. चारित्र सामायिक। पुनश्च, इसके भेद-प्रभेदों का कथन करना।
१४. किसको - किस जीव को सामायिक प्राप्त होती है?
जिसकी आत्मा संयम, नियम तथा तपश्चरण में सन्निहित-संलग्न होती है तथा जो जीव त्रस् तथा स्थावर - समस्त प्राणीवर्ग पर समत्व भाव रखता है, उस जीव को सामायिक प्राप्त होती है।
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