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________________ भाव-अक्षीण ४७७ सर्वाकाश श्रेणी ज्ञ शरीर-भव्य शरीर व्यतिरिक्त द्रव्य-अक्षीण रूप है। यह नो आगमतः द्रव्य अक्षीण का स्वरूप है। इस प्रकार द्रव्य-अक्षीण का विवेचन परिसमाप्त होता है। विवेचन - उपर्युक्त सूत्रों में अक्षीण के नाम, स्थापना और द्रव्य - इन भेदों का विवेचन पूर्वोक्त आवश्यक अध्ययन के आधार पर लिए जाने का जो संकेत किया है, उसका अभिप्राय यह है कि आवश्यक के उक्त प्रसंग में जैसा वर्णन आया है, वैसा ही यहाँ योजनीय है। केवल आवश्यक के स्थान पर अक्षीण शब्द का प्रयोग कर लेना चाहिए। __ प्रस्तुत सूत्र में सर्वाकाश श्रेणी का उल्लेख हुआ है। उसका विशेष आशय है। क्रमानुबद्ध एक-एक प्रदेश की पंक्ति श्रेणी के नाम से अभिहित की जाती है। लोक, अलोक रूप अनंत प्रदेशी सर्व आकाश द्रव्य की श्रेणी में से प्रतिसमय एक-एक प्रदेश का अपहार किया जाए फिर भी अनंत उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी कालों में वह क्षीण नहीं की जा सकती। इसीलिए उसे सर्वाकाश श्रेणी की संज्ञा दी गई है। भाव-अक्षीण से किं.तं भावज्झीणे? भावज्झीणे दुविहे पण्णत्ते। तंजहा - आगमओ य १ णोआगमओ य २। भावार्थ - भाव-अक्षीण कितने प्रकार का होता है? । यह आगमतः और नोआगमतः के रूप में दो प्रकार का परिज्ञापित हुआ है। से किं तं आगमओ भावज्झीणे? आगमओ भावज्झीणे जाणए उवउत्ते। सेत्तं आगमओ भावज्झीणे। भावार्थ - आगमतः भाव-अक्षीण का क्या स्वरूप है? जो.ज्ञ उपयोग युक्त हो, वह आगमतः भाव-अक्षीण है। यह आगमतः भाव-अक्षीण का स्वरूप है। विवेचन - आगमतः भावाक्षीण के सम्बन्ध में वृद्ध पूज्यवर आचार्यों का मत यह है कि चूंकि चतुर्दशपूर्वधारी आगमोपयुक्त मुनिवर के द्वारा अन्तर्मुहूर्त मात्र उपयोग काल में जो अर्थोपलब्धि के उपयोगपर्याय होते हैं, उनमें से प्रतिसमय एक-एक पर्याय का अपहार करने पर भी अनन्त उत्सर्पिणीअवसर्पिणी कालचक्र तक में भी उन पर्यायों का अपहार नहीं किया जा सकता यानी वे सब पर्याय रिक्त नहीं हो सकते, इस अपेक्षा से भावाक्षीणता समझ लेनी चाहिए। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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