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अनुमान प्रमाण - शेषवत् अनुमान
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भावार्थ - कार्य द्वारा होने वाले अनुमान का क्या स्वरूप है?
शब्द से शंख का, ताड़न से नगारे का, दडूकने से बैल का, केका से मयूर का, हिनहिनाहट से घोड़े का, गुलगुलाहट से हाथी का तथा घनघनाहट से रथ का - इन विविध कार्यों से (कारण का) जो अनुमान होता है, वह कार्य रूप अनुमान है।
से किं तं कारणेणं?
कारणेणं - तंतवो पडस्स कारणं, ण पडो तंतुकारणं, वीरणा कडस्स कारणं, ण कडो वीरणाकारणं, मिप्पिंडो घडस्स कारणं, ण घडो मिप्पिड कारणं। सेत्तं कारणेणं।
. शब्दार्थ - पडस्स - वस्त्र का, वीरणा - तिनके, कड - चटाई के, मिप्पिंडो - मृत्त पिण्ड - मिट्टी का पिण्ड।
भावार्थ - कारण से उत्पन्न (शेषवत्) अनुमान का क्या स्वरूप है?
तंतु वस्त्र के कारण हैं, वस्त्र तन्तुओं का कारण नहीं है। तृण चटाई के कारण हैं, चटाई तृणों का कारण नहीं है, मृत्तिका पिण्ड घड़े का कारण है, घड़ा मृत्तिका पिण्ड का कारण नहीं है।
इस प्रकार कारण से कार्य का अनुमान होना शेषवत् है। से किं तं गुणेणं? . .
गुणेणं - सुवण्णं णिकसेणं, पुप्फ गंधेणं, लवणं रसेणं, मइरं आसायएणं, वत्थं फासेंणं। सेत्तं गुणेणं।
शब्दार्थ - सुवण्णं - स्वर्ण, णिकसेणं - कसौटी द्वारा, पुप्फ - पुष्प, लवणं - नमक, रसेणं - रस द्वारा, मइरं - मदिरा, आसायएणं - आस्वादन से, वत्थं - वस्त्र, फासएणं - स्पर्श द्वारा।
भावार्थ - गुण रूप (शेषवत्) अनुमान का क्या स्वरूप है?
कसौटी द्वारा सोने का, सुगंध द्वारा फूल का, रस द्वारा नमक का, आस्वादन द्वारा मदिरा का, स्पर्श द्वारा वस्त्र का परिज्ञापन होता है।
यह गुणनिष्पन्न अनुमान है। से किं तं अवयवेणं? अवयवेणं - महिसं सिंगेणं, कुक्कुडं सिहाएणं, हत्थि विसाणेणं, वराहं दाढाए,
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