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________________ स्थलचर पंचेन्द्रिय जीवों की स्थिति हे आयुष्मन् गौतम! इनकी स्थिति जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्टतः चौरासी हजार वर्ष प्रमाण होती है। अपर्याप्तक-सम्मूर्च्छिम-चतुष्पद - थलचर-पंचेन्द्रिय जीवों की स्थिति के विषय में पूछा । हे आयुष्मन् गौतम! इनकी जघन्यतः और उत्कृष्टतः स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त परिमित होती है। पर्याप्तक-सम्मूर्च्छिम-चतुष्पद - थलचर-पंचेन्द्रिय जीवों की स्थिति के विषय में प्रश्न किया । हे आयुष्मन् गौतम! इनकी जघन्यतः स्थिति अन्तर्मुहूर्त एवं उत्कृष्टतः अन्तर्मुहूर्त न्यून चौरासी हजार वर्ष प्रमाण होती है। गर्भव्युत्क्रांतिक-चतुष्पद - थलचर- पंचेन्द्रिय जीवों के विषय में प्रश्न करने पर - हे आयुष्मन् गौतम! इनकी स्थिति जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त्त प्रमाण एवं उत्कृष्टतः तीन पल्योपम परिमित होती है। ३४१ अपर्याप्तक-गर्भव्युत्क्रयंतिक - चतुष्पद - थलचर-पंचेन्द्रिय जीवों की स्थिति के विषय में पूछा। हे आयुष्मन् गौतम! इनकी स्थिति जघन्यतः एवं उत्कृष्टतः दोनों ही अन्तर्मुहूर्त्त परिमित होती हैं। - पर्याप्तक-गर्भव्युत्क्रांतिक-चतुष्पद - थलचर-पंचेन्द्रिय जीवों के विषय में प्रश्न है । हे आयुष्मन् गौतम! इनकी कालस्थिति जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त एवं उत्कृष्टतः अन्तर्मुहूर्त्त कम तीन पल्योपम की बतलाई गई है। उरः परिसर्प - थलचर- पंचेन्द्रिय जीवों के विषय में प्रश्न किया । हे आयुष्मन् गौतम! इनकी स्थिति जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त एवं उत्कृष्टतः एक करोड़ पूर्व वर्षों की होती है। सम्मूर्च्छिम - उरः परिसर्प - थलचर- पंचेन्द्रिय जीवों के विषय में प्रश्न है । हे आयुष्मन् गौतम! इनकी कालस्थिति जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त एवं उत्कृष्टतः तिरेपन हजार वर्षों की होती है। Jain Education International अपर्याप्त-सम्मूर्च्छिम- उरः परिसर्प-थलचर-पंचेन्द्रिय जीवों की स्थिति के विषय में प्रश्न किया। हे आयुष्मन् गौतम! इनकी कम से कम एवं अधिक से अधिक स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त परिमित होती है। पर्याप्तक-सम्मूर्च्छिम-उरः परिसर्प - थलचर-पंचेन्द्रिय जीवों की स्थिति के विषय में पूछा । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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