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अनुयोगद्वार सूत्र
प्रमाणांगुल का प्रयोजन एएणं पमाणंगुलेणं किं पओयणं?
एएणं पमाणंगुलेणं पुढवीणं कंडाणं पायालाणं भवणाणं भवणपत्थडाणं णिरयाणं णिरयावलीणं णिरयपत्थडाणं कप्पाणं विमाणाणं विमाणावलीणं विमाणपत्थडाणं टंकाणं कूडाणं सेलाणं सिहरीणं पब्भाराणं विजयाणं वक्खाराणं वासाणं वासहराणं वेला(वलया)णं वेइयाणं दाराणं तोरणाणं दीवाण समुद्दाणं आयामविक्खंभोच्चत्तोव्वेहपरिक्खेवा मविजंति। __ शब्दार्थ - कंडाणं - रत्न कांड आदि कांडों की, पायालाणं - पातालों की, भवणपत्थडाणं - भवन प्रस्तरों की, णिरयाणं - नारकों की, णिरयावलीणं - नरकावासों के पंक्तियों की, टंकाणं - टंकों-चोटियों की, सेलाणं - पर्वतों की, सिहरीणं - शिखर युक्त पर्वतों की, पन्भाराणं - ढालू पर्वतों (पठारों) की, वक्खाराणं - वक्षस्कारों की, वासहराणंवर्षधर पर्वतों की, वेलाणं - समुद्र तटों की, वेइयाणं - वेदिकाओं की, दीवाणं - द्वीपों की, आयाम-विक्खंभोन्तोव्वेह परिक्खेवा - लम्बाई-चौड़ाई-ऊँचाई-गहराई तथा परिधि।
भावार्थ - इस प्रमाणांगुल का क्या प्रयोजन है?
इस प्रमाणांगुल से रत्नप्रभादि नारकभूमियों, कांडों, पातालों, भवनों, भवन प्रस्तरों, नैरयिकों, नरक पंक्तियों, नरक प्रस्तरों, कल्पों, विमानों, विमान पंक्तियों, विमान प्रस्तरों, टंकों, कूटों, पर्वतों, शिखरियों, प्राग्भारों, विजयों, वक्षस्कारों, वर्षों, वर्षधर पर्वतों, तटों, वेदिकाओं, द्वारों तोरणों, द्वीपों, समुद्रों की लम्बाई-चौड़ाई, ऊँचाई, गहराई, परिधि का माप किया जाता है।
विवेचन - लोक में रहे हुए सभी शाश्वत पदार्थों की लम्बाई चौड़ाई आदि प्रमाण अंगुल के द्वारा मापी जाती है। प्रमाण अंगुल का परिमाण सदैव एक जैसा रहता है। ___ से समासओ तिविहे पण्णत्ते। तंजहा - सेढीअंगुले १ पयरंगुले २ घणंगुले ३। असंखेजाओ जोयणकोडाकोडीओ सेढी, सेढी सेढीए गुणिया पयरं, पयरं सेढीए गुणियं लोगो, संखेजएणं लोगो गुणिओ संखेजा लोगा, असंखेजएणं लोगो गुणिओ असंखेजा लोगा, अणंतेणं लोगो गुणिओ अणंता लोगा।
भावार्थ - यह (प्रमाणांगुल) संक्षिप्त रूप में तीन प्रकार का बतलाया गया है।
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