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दस नाम - नक्षत्र नाम
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णक्खत्तणामे - कित्तियाहिं जाए कित्तिए, कित्तियादिण्णे, कित्तियाधम्मे, कित्तियासम्मे, कित्तियादेवे, कित्तियादासे, कित्तियासेणे, कित्तियारक्खिए। रोहिणीहिं जाए - रोहिणिए, रोहिणिदिण्णे, रोहिणिधम्मे, रोहिणिसम्मे, रोहिणिदेवे, रोहिणिदासे, रोहिणिसेणे, रोहिणिरक्खिए य। एवं सव्वणक्खत्तेसु णामा भाणियव्वा।
एत(थं)थ संगहणिगाहाओकित्तिय रोहिणि मिगसर, अद्दा य पुणव्वसू य पुस्से य। तत्तो य अस्सिलेसा, महा उ दो फग्गुणीओ य॥१॥ हत्थो चित्ता साई, विसाहो तह य होइ अणुराहा। जेट्ठा मूला पुव्वा, - साढा तह उत्तरा चेव॥२॥ अभिई सवण धणिट्ठा, सयमिसया दो य होंति भद्दवया। रेवइ अस्सिणि भरणी, एसा णक्खत्तपरिवाडी॥३॥ सेत्तं णक्खत्तणामे। शब्दार्थ - कित्तियाहिं - कृत्तिका नक्षत्र में, जाए - उत्पन्न, णक्खत्तपरिवाडी - नक्षत्र परिपाटी। भावार्थ - नक्षत्रनाम का क्या तात्पर्य है?
नक्षत्रनाम का यह स्वरूप है-कृत्तिका नक्षत्र में उत्पन्न हुए (शिशु) का नाम - कार्तिक, कृतिकादत्त, कृत्तिकाधर्म, कृत्तिकाशर्म, कृत्तिकादेव, कृत्तिकादास, कृत्तिकासेन, कृत्तिकारक्षित आदि रखा जाता है।
(इसी प्रकार) रोहिणी नक्षत्र में उत्पन्न (शिशु) का नाम - रोहिणेय, रोहिणीदत्त, रोहिणीधर्म, रोहिणीशर्म, रोहिणीदेव, रोहिणीदास, रोहिणीसेन, रोहिणीरक्षित रखे जाने की परम्परा है।
इसी प्रकार समस्त नक्षत्रों में तदनुरूप नाम योजनीय हैं।
नक्षत्र नामों की संग्राहक गाथाएं इस प्रकार हैं - . १. कृत्तिका २. रोहिणी ३. मृगशिरा ४. आर्द्रा ५. पुनर्वसु ६. पुष्य ७. अश्लेषा ८. मघा ६. पूर्वाफाल्गुनी १०. उत्तरफाल्गुनी (दो फाल्गुनी) ११. हस्त १२. चित्रा १३. स्वाति १४. विशाखा १५: अनुराधा १६. ज्येष्ठा १७. मूला १८. पूर्वाषाढा १६. उत्तराषाढा २०. अभिजित २१. श्रवण २२. धनिष्ठा २३. शतभिषज २४. पूर्वाभाद्रपदा २५. उत्तराभाद्रपदा २६. रेवती २७. अश्विनी २८. भरिणी - यह नक्षत्रनामों की श्रृंखला है॥१-३॥
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