________________
दस नाम - नाम प्रमाण निष्पन्न नाम
२४१
अपसत्थे - कोहेणं कोही, माणेणं माणी, मायाए माई, लोहेणं लोही। सेत्तं अपसत्थे। सेत्तं भावसंजोगे। सेत्तं संजोएणं।
भावार्थ - अप्रशस्त का क्या स्वरूप है?
क्रोध, मान, माया एवं लोभ से क्रमशः क्रोधी, मानी, मायी एवं लोभी नाम बनते हैं, जो अप्रशस्त हैं।
यह अप्रशस्त के उदाहरण हैं। यह भाव संयोग का विवेचन है। इस प्रकार संयोग का प्रकरण व्याख्यात हुआ।
१०. प्रमाण निष्पन्न नाम से किं तं पमाणेणं? .
पमाणे चउविहे पण्णत्ते। तंजहा - णामप्पमाणे १ ठवणप्पमाणे २ दव्वप्पमाणे ३ भावप्पमाणे ।
भावार्थ - प्रमाण निष्पन्न नाम के कितने प्रकार हैं?
प्रमाण निष्पन्न नाम चार प्रकार के कहे गए हैं - १. नाम प्रमाण २. स्थापना प्रमाण ३. द्रव्य प्रमाण तथा ४. भाव प्रमाण।
विवेचन - प्रमाण शब्द 'प्र' उपसर्ग और मान के योग से बना है। 'प्र' उपसर्ग प्रकर्ष या उत्कर्ष द्योतक है। "प्रमीयते - प्रकर्षेण मीयतेति प्रमाणं' - प्रकर्ष पूर्वक जो माप-निर्णय किया जाता है, उसे प्रमाण कहा जाता है।
भारतीय वाङ्मय में प्रमाण का विशेष रूप से विवेचन हुआ है। न्याय शास्त्र को प्रमाण शास्त्र भी कहा गया है। 'प्रमाण' न्याय शास्त्र विहित षोडश पदार्थों में एक है।
१. नाम प्रमाण निष्पन्न नाम से किं तं णामप्पमाणे? - णामप्पमाणे - जस्स णं जीवस्स वा, अजीवस्स वा, जीवाण वा, अजीवाण वा, तदुभयस्स वा, तदुभयाण वा, ‘पमाणे' त्ति णामं कजइ। सेत्तं णामप्पमाणे।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org