________________
अष्टनाम
२०७
शब्दार्थ - केसी - कौनसी, खरं - परुष - कठोर, चउरं - कुशलता पूर्वक, विलंबियंविलंबित - लम्बा प्रवाह, दुयं - द्रुत, विस्सरं - विस्वर - विपरीत स्वर युक्त - बेसुरा, सामा - षोडशवर्षीया युवती, पिंगला - भूरे रंग की स्त्री।
भावार्थ - कौन गायिका मधुर, कौन कठोर, रूक्ष, कौन कौशलयुक्त - विधिवत्, कौन विपरीत, कौन द्रुत, कौन गायिका बेसुरा गाती है? ____षोडश वर्षीया युवती मधुर स्वर में, कृष्ण वर्णा परुष - कठोर और रूक्ष स्वर में, गौरवर्णा - विधि अनुरूप स्वर में, कानी - विलंबित स्वर में, अंधी द्रुत स्वर में, पिंगला - . बेसुरे स्वर में गाती है॥१२-१३।।
- उपसंहार सत्तसरा तओ गामा, मुच्छणा इक्कवीसई। ताणा एगणपण्णासं, सम्मत्तं सरमंडलं॥१४॥ सेत्तं सत्तणामे।
भावार्थ - इस प्रकार सात स्वर, तीन ग्राम एवं इक्कीस मूर्च्छनायें होती हैं। (प्रत्येक स्वर सात तानों में गाये जाने के कारण) स्वरों के (७४७-४६) उन्नचास भेद होते हैं॥१४॥
___ इस प्रकार सप्तनाम का वर्णन परिसमाप्त होता है। .. विवेचन - स्थानांग सूत्र के सातवें स्थान में भी सात स्वरों का विस्तार से वर्णन किया गया है। यहाँ के पाठ से वहाँ पर कहीं-कहीं पर कुछ पाठ में भिन्नता है। आशय दोनों का एक ही प्रकार का है। __ इन सात स्वरों का टीकाकार ने भी संक्षिप्त में ही अर्थ किया है। विस्तार से विवेचन भरत के नाट्य शास्त्र आदि लौकिक ग्रन्थों से जान लेना चाहिये।
(१२६)
अष्टनाम से किं तं अट्ठणामे? अट्ठणामे - अट्ठविहा वयणविभत्ती पण्णत्ता। तंजहा - णिद्देसे पढमा होइ, बिइया उवएसणे।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org