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अनुगम-निरूपण - सत्पदप्ररूपणा
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३. क्षेत्र - आनुपूर्वी आदि पदों द्वारा सूचित द्रव्यों के आधारभूत क्षेत्र का विचार, इस भेद का द्योतक है।
४. स्पर्शना - आनुपूर्वी आदि द्रव्यों द्वारा स्पर्श किए गए क्षेत्र की पर्यालोचना स्पर्शना के अन्तर्गत आती है।
यहाँ यह ज्ञातव्य है कि क्षेत्र में केवल आधारभूत आकाश का ही स्वीकार है, स्पर्शना में आधारभूत क्षेत्र के चारों ओर के तथा ऊपर-नीचे के आकाश प्रदेश भी गृहीत होते हैं। .. ५. काल - आनुपूर्वी आदि द्रव्यों की स्थिति की मर्यादा पर विचार करना काल कहा जाता है।
६. अन्तर - विवक्षित पर्याय का परित्याग हो जाने के अनंतर फिर उसी पर्याय की प्राप्ति में होने वाला विरहकाल - व्यवधान का काल अन्तर कहा जाता है।
७. भाग - आनुपूर्वी आदि द्रव्य, अन्य द्रव्यों के कितने भाग में अवस्थित रहते हैं, ऐसा विचार भाग कहा जाता है।
८. भाव - विवक्षित आनुपूर्वी आदि द्रव्य किस भाव में अवस्थित हैं, ऐसा विचार भाव शब्द द्वारा अभिहित किया जाता है।
. अल्प-बहुत्व - द्रव्यार्थिक, प्रदेशार्थिक तथा द्रव्य प्रदेशार्थिक के आश्रय से आनुपूर्वी द्रव्यों में अल्पता अधिकता का विचार करना अल्प-बहुत्व है। -
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१. सत्पदप्ररूपणा णेगमववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं किं अत्थि णत्थि? . णियमा अत्थि। णेगमववहाराणं अणाणुपुत्वीदव्वाइं किं अत्थि णत्थि? णियमा अत्थि। णेगमववहाराणं अवत्तव्वयदव्वाइं किं अत्थि णत्थि? णियमा अत्थि। शब्दार्थ - णियमा - नियम से, अत्थि - अस्ति - है।
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