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समवायांग सूत्र
प्रथम शिष्य होंगे, चौबीस प्रथम शिष्याएं होंगी, चौबीस प्रथम भिक्षा देने वाले होंगे, चौबीस चैत्य वृक्ष अर्थात् केवलज्ञानोत्पत्ति के वृक्ष होंगे ।
भावी चक्रवर्ती पद
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आगामी बारह चक्रवर्तियों के नाम
जंबूद्दीवे णं दीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए बारस चक्कवट्टिणो भविस्संति, तंजा
८५ ॥
भरहे य दीहदंते, गूढदंते य सुद्धदंते य । सिरिउत्ते सिरिभूई, सिरिसोमे य सत्तमे ।। पउमे य महापउमे, विमलवाहणे विपुलवाहणे वरिट्टे बारसमे वुत्ते, आगमिस्सा भरहाहिवा ॥ ८६ ॥
चेव ।
एएसिं णं बारसहं चक्कवट्टीणं बारस पियरो भविस्संलि, बारस मायरो भविस्संति, बारस इत्थी रयणा भविस्संति ।
भावार्थ - इस जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में आगामी उत्सर्पिणी काल में बारह चक्रवर्ती होंगे, उनके नाम इस प्रकार होंगे - १. भरत, २. दीर्घदन्त, ३. गूढदंत, ४. शुद्धदंत, ५. श्रीपुत्र, ६. श्रीभूति, ७. श्रीसोम, ८. पद्म, ९. महापद्म, १०. विमलवाहन, ११. विपुलवाहन, १२. वरिष्ठ या रिष्ट, ये आगामी उत्सर्पिणी काल में भरत क्षेत्र के अधिपति चक्रवर्ती होंगे ।। ८५-८६ ॥ इन बारह चक्रवर्तियों के बारह पिता होंगे, बारह माताएं होंगी, बारह स्त्रीरत्न होंगे ।
भावी बलदेव वासुदेव पद
आगामी बलदेव, वासुदेवों के माता-पिता आदि के नाम जंबूद्दीवे णं दीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए णव बलदेव वासुदेव पियरो भविस्संति, णव वासुदेव मायरो भविस्संति, णव बलदेव मायरो भविस्संति, णव दसारमंडला भविस्संति, तंजहा उत्तमपुरिसा, मज्झिमपुरिसा, पहाणपुरिसा, ओयंसी, तेयंसी एवं सो चेव वण्णओ भाणियव्वो जाव णीलग पीयग वसणा दुवे दुवे राम केसवा भायरो भविस्संति, तंजहा -
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