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बलदेव-वासुदेव पद
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भावार्थ - इन बारह चक्रवर्तियों के बारह स्त्री रत्न थे, उनके नाम इस प्रकार हैं - १. सुभद्रा, २. भद्रा, ३. सुनन्दा, ४. जया, ५. विजया, ६. कृष्णश्री, ७. सूर्यश्री, ८. पद्मश्री, ९. वसुन्धरा, १०. देवी, ११. लक्ष्मीवती, १२. कुरुमती । ये चक्रवर्तियों के स्त्री रत्नों के नाम हैं।। ५१॥
बलदेव-वासुदेव पद
बलदेव वासुदेव के पिताओं के नाम जंबूहीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए णव बलदेव णव वासुदेव पियरो होत्या, तंजहा - .
पयावई य बंभो सोमो, रुदो सिवो महसिवो य।
अग्गिसीहो य दसरहो, णवमो भणिओ य वसुदेवो ॥ ५३॥ .. भावार्थ - इस जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में इस अवसर्पिणी काल में नौ बलदेव और नौ वासुदेवों के नौ पिता हुए थे, उनके नाम इस प्रकार हैं - १. प्रजापति, २. ब्रह्म, ३. सोम, ४. रुद्र, ५. शिव, ६. महाशिव, ७. अग्निसिंह, ८. दशरथ, ९. वसुदेव ।। ५३॥ _ नौ वासुदेवों की माताओं के नाम - जंबूहीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए णव वासुदेव मायरो होत्था, तंजहा
मियावई उमा चेव, पुहवी सीया य अम्मया।
लच्छिमई सेसमई, केकई देवई तहा ॥ ५४ ।। भावार्थ - इस जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में इस अवसर्पिणी काल में नौ वासुदेवों की नौ माताएं हुई थीं, उनके नाम इस प्रकार हैं । मृगावती, ३. उमा, ३. पृथ्वी, ४. सीता, ५. अमृता (अम्बिका), ६. लक्ष्मीवती, ७. शेषमती, ८. कैकयी - अपर नाम सुमित्रा, ९. देवकी ।। ५४॥
नौ बलदेवों की माताओं के नाम जंबूहीवे णं दीवे भरहे वासें इमीसे ओसप्पिणीए. णव बलदेव मायरो होत्था, तंजहा -
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