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________________ बारह अंग सूत्र ३२३ महावीर स्वामी के शासन की २३ स्त्री साधिका एवं कुल ये ३३ स्त्री साधिका स्वस्थान में (जिस उपाश्रय में वे विराजती थी) मोक्ष पधारी। .. १०. संथारात्मक तालिका - गजसुकुमाल मुनि ने महाकाल श्मशान में एक रात्रि की भिक्षु प्रतिमा का आराधन करते हुए तथा सोमिल ब्राह्मण द्वारा शिर पर रखे हुए खैर (खदिर)की लकडी के अंगारों की तीव्र उज्ज्वल वेदना को समभाव पूर्वक सहन करते हुये मोक्ष प्राप्त किया। यही उनका संथारा था। अर्जुन अनगार ने १५ दिनों का संथारा किया था। शेष सभी साधकों को एक महीने का संथारा आया था। से किं तं अणुत्तरोववाइयदसाओ ? अणुत्तरोववाइयदसासु णं अणुत्तरोववाइयाणं णगराइं, उजाणाई, चेइयाई, वणखंडाइं, रायाणो, अम्मापियरो, समोसरणाइं, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइयपरलोइयइड्डिविसेसा, भोगपरिच्चाया, पव्वजाओ सुयपरिग्गहा, तवोवहाणाइं, परियागा, पडिमाओ, संलेहणाओ, भत्तपाणपच्चक्खाणाइं, पाओवगमणाई, अणुत्तरोववाओ, सुकुलपच्चायाई, पुणो बोहिलाभो, अंतकिरियाओ य आघविनंति। अणुत्तरोववाइयदसासु णं तित्थयरसमोसरणाइं, परममंगल्ल जगहियाणि जिणाइसेसा य बहुविसेसा जिणसीसाणं चेव समण गण पवर गंधहत्थीणं, थिरजसाणं, परिसह सेण्णरिउबल पमद्दणाणं, तवदित्त चरित्त णाण सम्मत्तसार विविहप्पगार वित्थरपसत्थ गुणसंजुयाणं, अणगार महरिसीणं, अणगारगुणाणं वण्णओ, उत्तमवर तवविसिट्ठ णाणजोगजुत्ताणं जह य जगहियं भगवओ जारिसा, इड्डिविसेसा, देवासुरमाणुसाणं परिसाणं पाउब्भावा य जिणसमीवं जह य उवासंति, जिणवरं जह य परिकहंति, धम्मं लोग गुरु अमर णर सुर गणाणं सोऊण य तस्स भासियं अवसेसकम्म विसयविरत्ता णरा जहा अब्भुवेति धम्ममुरालं संजमं, तवं चावि बहुविहप्पगारं जह बहूणि वासाणि अणुचरित्ता आराहियणाण दंसण चारित्तजोगा जिणवयणमणुगय-महियं भासिया जिणवराणहिययेण मणुण्णेत्ता जे य जहिं जत्तियाणि भत्ताणि छेयइत्ता लळूण य समाहिमुत्तम ज्झाण जोगजुत्ता, उववण्णा मुणिवरोत्तमा जह अणुत्तरेसु पावंति जह अणुत्तरं तत्थ विसयसोक्खं, तओ य चुआ कमेण काहिंति संजया जहा य अंतकिरियं एए अण्णे य एवमाइयत्था वित्थरेण। अणुत्तरोववाइयदसासु णं परित्ता वायणा संखेजा अणुओगदारा जाव Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004182
Book TitleSamvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages458
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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