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________________ अनेकोत्तरिका वृद्धि वाले समवाय अर्थात् प्रकीर्णक समवाय . चंदप्पभे णं अरहा दिवढं धणुसयं उई उच्चत्तेणं होत्था। आरणे कप्पे दिवढं विमाणावाससयं पण्णत्तं। एवं अच्चुए वि ॥ १५० ॥ कठिन शब्दार्थ - दिवढे धणुसयं - द्विअर्ध धनुशत १५० धनुष। भावार्थ - आठवें तीर्थङ्कर श्री चन्द्रप्रभस्वामी का शरीर १५० धनुष ऊंचा था। ग्यारहवें आरण देवलोक में १५० विमान कहे गये हैं। इसी तरह बारहवें अच्युत देवलोक में भी १५० विमान कहे गये हैं॥ १५० ॥ ... सुपासे णं अरहा दो धणुसयाइं उठें उच्चत्तेणं होत्था। सव्वे वि णं महाहिमवंत रुप्पी वासहर पव्वया दो दो जोयणसयाई उड्डे उच्चत्तेणं पण्णत्ता। दो दो गाउयसयाई उव्वेहेणं पण्णत्ता। जंबुद्दीवे णं दीवे दो कंचण पव्वयसया पण्णत्ता ॥ २०० ॥ भावार्थ - सातवें तीर्थङ्कर श्री सुपार्श्वनाथ स्वामी का शरीर २०० धनुष ऊंचा था। सब महाहिमवंत और रुक्मी पर्वत २००-२०० योजन ऊंचे और २००-२०० गाऊ (५० योजन) के ऊंडे कहे गये हैं। इस जम्बूद्वीप में २०० कञ्चन पर्वत कहे गये हैं अर्थात् १०० देवकुरु में और १०० उत्तरकरु में ये दोनों मिला कर २०० हुए ॥ २०० ॥ .... पउमप्पभेणं अरहा अड्डाइज्जाइं धणुसयाइं उर्दू उच्चत्तेणं होत्था। असुरकुमाराणं देवाणं पासाय वडिंसगा अड्डाइजाइं जोयणसयाई उड्ढे उच्चत्तेणं पण्णत्ता ॥ २५०॥ कठिन शब्दार्थ - पासाय वडिंसगा - प्रासादावतंसक-सब महलों में अलङ्कार रूप सर्वश्रेष्ठ भवन। भावार्थ - छठे तीर्थङ्कर श्री पद्मप्रभ स्वामी के शरीर की ऊंचाई २५० धनुष की थी। असुरकुमार देवों के प्रासादावतंसक-भवन २५० योजन ऊंचे कहे गये हैं ॥ २५० ॥ विवेचन - अवतंसक का अर्थ है आभूषण। प्रासाद का अर्थ है महल । सब महलों में आभूषण रूप अर्थात् सर्वश्रेष्ठ महल। चार गाऊ-कोस का एक योजन होता है। सुमई णं अरहा तिण्णि धणुसयाई उड्डे उच्चत्तेणं होत्था। अरिटणेमी णं अरहा तिण्णि वाससयाई कुमारवास मज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए। वेमाणियाणं देवाणं विमाण पागारा तिण्णि तिण्णि जोयणसयाई उडू उच्चत्तेणं पण्णत्ता। समणस्स Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004182
Book TitleSamvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages458
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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