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________________ १९४ समवायांग सूत्र चंवालीसवां समवाय चोयालीसं अज्झयणा इसिभासिया दियलोगचुयाभासिया पण्णत्ता। विमलस्स णं अरहओ चोयालीसं पुरिस जुगाइं अणुपिढेि सिद्धाइं जाव सव्वदुक्खप्पहीणाई। धरणस्स णं णागिंदस्स णाग रण्णो चोयालीसं भवणावाससयसहस्सा पण्णत्ता। महालियाए णं विमाणपविभत्तीए चउत्थे वग्गे चोयालीसं उद्देसण काला पण्णत्ता ॥ ४४ ॥ कठिन शब्दार्थ - दियलोगचुयाभासिया - देवलोक से चव कर आये हुए ऋषियों द्वारा भाषित, इसिभासिया - ऋषियों के द्वारा कहे हुए, चोयालीसं - चवालीस, अणुपिट्टीअनुक्रम से पाटानुपाट, पुरिसजुगाई - पुरुष युग। भावार्थ - देवलोक से चव कर आये हुए ऋषियों के द्वारा कहे हुए अर्थात् जो जीव देवलोक से चव कर मनुष्य गति में आये और यहाँ संयम स्वीकार कर ऋषि बने, उन ऋषियों के द्वारा कहे हुए चंवालीस अध्ययन हैं। अथवा इसका पाठान्तर यह है - देवलोक से चल कर जो मनुष्यगति में उत्पन्न हुए, फिर संयम स्वीकार कर ऋषि बने, उन ऋषियों के विषय में चंवालीस अध्ययन ऋषियों ने कहे हैं। तेरहवें तीर्थङ्कर श्री विमलनाथ स्वामी के मोक्ष जाने के बाद अनुक्रम से पाटानुपाट चंवालीस पुरुष युग अर्थात् चवालीस पाट तक सिद्ध हुए थे यावत् सब दुःखों से रहित होकर मोक्ष गये थे। नागकुमारों के राजा नागकुमारों के इन्द्र धरणेन्द्र के चंवालीस लाख भवन कहे गये हैं। महालिका विमान प्रविभक्ति नामक कालिक सूत्र के चौथे वर्ग में चंवालीस उद्देशन काल कहे गये हैं ॥ ४४ ॥ विवेचन - "पुरिसजुगाई" का अर्थ है शिष्य प्रशिष्य आदि क्रम से कितनेक पाट तक मुनि मोक्ष गये उतने को 'पुरुष युग' कहते हैं। तेरहवें तीर्थङ्कर श्री विमलनाथ स्वामी के पाटानुपाट ४४ केवलज्ञानी हुए। प्रत्येक तीर्थङ्कर की दो भूमिकाएँ होती है। युगान्तकर भूमि और पर्यायान्नकर भूमि । युगान्तकर भूमि का अर्थ है कि इतने पाट तक मोक्ष गाये । उसकों पुरुषयमा भी कहते हैं। तीर्थङ्कर भगवान् को केवलज्ञान होने के बाद कितने समय बाद उनके शासन में से मोक्ष जाना प्रारंभ हुआ। इसे पर्यायान्तकर भूमि कहते हैं। .. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004182
Book TitleSamvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages458
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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