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श्री अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ साहित्य रत्नमाला का ८६ वा रत्न
समवायाङ्ग सूत्र
(शुद्ध मूल पाठ, कठिन शब्दार्थ, भावार्थ एवं विवेचन सहित)
अनुवादक पं. श्री घेवरचन्दजी बांठिया "वीरपुत्र" | न्यायतीर्थ, व्याकरणतीर्थ, जैन सिद्धांत शास्त्री
सम्पादक
नेमीचन्द बांठिया पारसमल चण्डालिया
प्रकाशक
श्री अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ, जोधपुर - शाखा-नेहरू गेट के बाहर, ब्यावर -३०५ ९०१
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