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समवाय २८
१२९ SeemamananewseemmmmmmmmmmmmmmaNamananewseemasomaanamesemamammeenamewommen तिनके की अथवा घुटने की छाया चार पैर हो तब पोरिसी समझनी चाहिए। इसके बाद प्रति सप्ताह एक अङ्गल छाया घटती जाती है। इस प्रकार घटते घटते आषाढी पूर्णिमा (जबकि दिन सबसे बड़ा होता है) को छाया दो पैर रह जाती है। इसके बाद प्रति सप्ताह छाया एक अङ्गल बढ़ती जाती है। इस प्रकार बढ़ते बढ़ते पौष मास की पूर्णिमा के दिन छाया चार पैर हो जाती है। जब सूर्य उत्तरायण होता है अर्थात् मकर संक्रान्ति के दिन से छाया बढ़नी शुरू होती है और सूर्य के दक्षिणायन होने पर अर्थात् कर्क संक्रान्ति से छाया घटनी शुरू हो जाती है। . विस्तृत खुलासा जानने के लिये जिज्ञासुओं को "श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह" बीकानेर का चौथा भाग देखना चाहिए। वहाँ पर उत्तराध्ययन सूत्र के छब्बीसवें अध्ययन की टीका के अनुसार पोरिसी छाया का विस्तृत वर्णन दिया गया है।
अठाईसवां समवाय - अट्ठावीस विहे आयारपकप्पे पण्णत्ते तंजहा - मासिया आरोवणा, सपंच राइमासिया आरोवणा, सदस राइमासिया आरोवणा एवं चेव दो मासिया आरोवणा सपंच राइदोमासिया आरोवणा, एवं तिमासिया आरोवणा, चउमासिया आरोवणा, उवघाइया आरोवणा, अणुवघाइया आरोवणा, कसिणा आरोवणा, अकसिणा आरोवणा, एयावया आयारपकप्पे, एयावया य आयरियव्वे । भवसिद्धियाणं जीवाणं अत्थेगइयाणं मोहणिज्जस्स कम्मस्स अट्ठावीसं कम्मंसा संतकम्मा पण्णत्ता तंजहा - सम्मत्तवेयणिजं, मिच्छत्त वेयणिजं, सम्ममिच्छत्त वेयणिजं, सोलस कसाया, णव णोकसाया। आभिणिबोहिय णाणे अट्ठावीसइविहे पण्णत्ते तंजहा - सोइदिय अत्यावग्गहे, चविखदिय अत्थावग्गहे, घाणिंदिय अत्थावग्गहे, जिभिंदिय अत्थावग्गहे, फासिंदिय अत्थावग्गहे, णोइंदिय अत्थावग्गहे, सोइंदियवंजणोवग्गहे, घाणिंदियवंजणोवग्गहे, जिभिंदिय वंजणोवग्गहे, फासिंदिय वंजणोवग्गहे, सोइंदिय ईहा, चक्विंदिय ईहा, घाणिंदिय ईहा, जिब्भिंदिय ईहा, फासिंदिय ईहा, णोइंदिय ईहा, सोइंदियावाए, चक्खिंदियावाए, घाणिंदियावाए, जिब्भिंदियावाए, फासिंदियावाए, णोइंदियावाए, सोइंदियधारणा, चक्खिंदियधारणा, घाणिंदिय धारणा, जिब्भिंदियधारणा, फासिंदियधारणा, णोइंदिय धारणा। ईसाणे णं कप्पे अट्ठावीसं विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता। जीवे णं देवगइम्मि बंधमाणे णामस्स कम्मस्स अट्ठावीसं
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