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________________ प्रमादस्थान - शब्द के प्रति रागद्वेष से मुक्त होने का उपाय Jain Education International शब्द के प्रति रागद्वेष से मुक्त सोयस्स सद्दं गहणं वयंति, तं रागहेउं तु मणुण्णमाहु । तं दोस अमणुण्णमाहु, समो य जो तेसु स वीयरागो ॥ ३५ ॥ कठिन शब्दार्थ - सोयस्स - श्रोत्रेन्द्रिय का, सद्दं - शब्द को, गहणं - ग्राह्य-विषय | भावार्थ - शब्द को श्रोत्रेन्द्रिय का ग्राह्य विषय कहते हैं और जो मनोज्ञ शब्द है उसे रागहेतु - राग का कारण कहते हैं और जो अमनोज्ञ शब्द है उसे द्वेष का हेतु - कारण कहते हैं। जो मनोज्ञ और अमनोज्ञ शब्दों में समभाव रखता है वह वीतरागी है, उसे किसी प्रकार का दुःख नहीं होता है। सद्दस्स सोयं गहणं वयंति, सोयस्स सद्दं गहणं वयंति । रागस्स हेउं समणुण्णमाहु, दोसस्स हेउं अमणुण्णमाहु ॥३६॥ कठिन शब्दार्थ - सहस्स शब्द का, सोयं - श्रोत्रेन्द्रिय को । भावार्थ - श्रोत्रेन्द्रिय को शब्द का ग्राहक कहते हैं और शब्द को श्रोत्रेन्द्रिय का ग्राह्य कहते हैं। ज्ञानी पुरुष समनोज्ञ - मनोज्ञ शब्द को राग का हेतु कहते हैं और अमनोज्ञ शब्द को द्वेष का हेतु कहते हैं। सद्देसु जो गिद्धि-मुवेइ तिव्वं, अकालियं पावड़ से विणासं । रागाउरे हरिणमिगे व मुद्धे, सद्दे अतित्ते समुवेइ मच्चुं ॥ ३७ ॥ कठिन शब्दार्थ - सद्देसु - शब्दों में, अकालियं - २७७ होने का उपाय - हरिण - हरिण, मिगे - मृग । भावार्थ - जिस प्रकार सगातुर संगीत के राग में आसक्त एवं मुग्ध बना हुआ भोलाअज्ञानी हरिण शब्द में अतृप्त रहता हुआ मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, उसी प्रकार जो जीव शब्दों में तीव्र गृद्धि - आसक्ति भाव को रखता है वह अकाल में ही विनाश-मृत्यु को प्राप्त होता है। यावि दो समवे तिव्वं, तंसि क्खणे से उ उवेड दुक्खं । जे याबि दोस समुबेइ तिव्वं, तंसि क्खणे से 3 उवेइ दुक्ख । दुदंत- दोसेण सएण जंतू, ण किंचि सहं अवरुज्झइ से ॥ ३८ ॥ भावार्थ - जो जीव अमनोज्ञ शब्द में तीव्र द्वेष करता है वह प्राणी अपने ही दुर्दान्तदोष अकाल में ही, रागाउरे - रागातुर, For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004181
Book TitleUttaradhyayan Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size8 MB
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