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[16] concensonscorescoconomenacemosconcensorseenetworescencoccareeroen क्रं. विषय
पृष्ठ | क्रं. विषय यज्ञीय नामक पच्चीसवां
६७. पौरिसी का कालमान ११४
६८. चौदह दिनों का पक्ष किस-किसअध्ययन ८४-१०७
माह में? ७६. जयघोष-एक परिचय .
६६. पौन पोरसी काल जानने का उपाय ११७ ८०. जयघोष मुनि का पदार्पण
१००. साधु की रात्रि चर्या ११८ ८१. वेदवेत्ता विजयघोष
१०१. दैनिक कर्तव्य
११६ ८२. भिक्षा देने का निषेध
१०२. प्रतिलेखना करने की विधि १२० ८३. समभावी जयघोष मुनि
१०३. अप्रमाद प्रतिलेखनां के भेद .. १२१ ८४. विजयघोष की जिज्ञासा.
१०४. अप्रशस्त प्रतिलेखना १२२ ८५. जयघोष मुनि का समाधान
१०५. प्रमाद प्रतिलेखना के भेद . १२२ ८६. ब्राह्मण का लक्षण . ६४ १०६. प्रतिलेखना की प्रशस्तता और८७. वेद और यज्ञ आत्मरक्षक नहीं ६६
अप्रशस्तता
१२३. ८८. श्रमण ब्राह्मण आदि किन
१०७. प्रतिलेखना से विराधक औरगुणों से होते हैं?
आराधक ८९. विजयघोष द्वारा कृतज्ञता प्रकाशन- १०८. तृतीय पोरिसी की दिनचर्या
१०२ | १०६. आहार पानी की गवेषणा के - ६०. जयघोषमुनि का वैराग्यपूर्ण उपदेश १०४ छह कारण ६१. विरक्ति, दीक्षा और सिद्धि १०६ | ११०. आहार पानी त्याग के छह कारण १२६ ६२. उपसंहार
| १११. चौथी पोरिसी की दिनचर्या १२७ सामाचारी नामक छब्बीसवाँ | ११२. रात्रि चर्या अध्ययन १०८-१३३
| ११३. उपसंहार . ६३. सामाचारी का स्वरूप
| खलुंकीय नामक सत्ताईसवां
१०८ ६४. सामाचारी के दस भेद
१०६
अध्ययन १३४-१४१ ६५. सामाचारी का प्रयोजन १०६ | ११४. गर्गाचार्य का परिचय १३४ ६६. साधु की दिनचर्या
१११ / ११५. विनीत शिष्य से संसार पार १३५
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