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________________ १७६ उत्तराध्ययन सूत्र - दसवां अध्ययन kkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkakkakkaaaa* विवेचन - ग्राम और नगरादि में विचरण करता हुआ साधु अपने संयम मार्ग में दृढ़ होकर सर्वत्र शांति का - क्षमा प्रधान रूप धर्म का उपदेश करे। क्षमा धर्म के अनुष्ठान से यह जीव परम शांति रूप निर्वाण पद को प्राप्त कर लेता है। उपसंहार बुद्धस्स णिसम्म भासियं, सुकहियमट्ट पओवसोहियं। . रागं दोसं च छिंदिया, सिद्धिगई गए गोयमे॥३७॥त्ति बेमि॥ कठिन शब्दार्थ - बुद्धस्स - बुद्ध के, णिसम्म - सुन कर, भासियं - भाषण को, सुकहियं - सुकथित, अट्ठ - अर्थ, पओवसोहियं - पदों से उपशोभित, रागं - राग को, दोसं - द्वेष को, छिंदिया - छेदन करके, सिद्धिगई - सिद्धि गति को, गए - प्राप्त हो गए। ____ भावार्थ - सर्वज्ञ देव श्री भगवान् महावीर स्वामी का सुन्दर ढंग से विस्तार पूर्वक कहा हुआ अर्थ प्रधान पदों से उपशोभित भाषण सुन कर गौतम स्वामी राग और द्वेष का नाश करके सिद्धिगति को प्राप्त हुए॥३७॥ इस प्रकार मैं कहता हूँ। विवेचन - भगवान् का जो उपदेश है वह परम शांत और सर्व प्रकार के उपद्रवों से रहित परम सुख रूप मोक्ष को देने वाला है और निर्वाण साधक वीतरागता की प्राप्ति ही उसका मुख्य प्रयोजन है। ___ जिस प्रकार भगवान् के उपदेश से गौतम स्वामी निर्वाण को प्राप्त हुए उसी प्रकार भगवान् के उपदेशानुसार आचरण करके प्रत्येक विचारशील पुरुष को मोक्ष पद का अधिकारी बनना चाहिये। इस गाथा में “सिद्धिगई गए गोयमे' अर्थात् 'गौतम स्वामी सिद्धि गति को प्राप्त हो गये।' यह कथन 'नैगम नय' की अपेक्षा से है। अर्थात् गौतम स्वामी इसी भव से मोक्ष चले जायेंगे। इस प्रकार निकट भविष्य में मोक्ष में चले जाने के कारणं मोक्ष में चले गये, ऐसा कह दिया गया है। जब श्रमण भगवान् महावीर स्वामी ने अपने आयुष्य के समाप्ति के पहले उत्तराध्ययन सूत्र फरमाया था उस समय गौतम स्वामी मौजूद थे। ॥ इति द्वमपत्रक नामक दसवाँ अध्ययन समाप्त॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004180
Book TitleUttaradhyayan Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size8 MB
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