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________________ १३४ - उत्तराध्ययन सूत्र - नौवा अध्ययन **********************kikikikikikikikikikikikikakkkkkkkkkkk विवेचन - नमिराजर्षि अपनी पिछली जाति को स्मरण करके अपने आप ही प्रतिबोध को प्राप्त हो गये अर्थात् सर्वोत्कृष्ट जो चारित्र रूप धर्म है उसके धारण करने की उनमें स्वयमेव रुचि उत्पन्न हो गई अतः पुत्र को राज्यपद में स्थापन करके स्वयं दीक्षा के लिए उद्यत हो गये। सो देवलोगसरिसे, अंतेउरवरगओ वरे भोए। भुंजित्तु णमी राया, बुद्धो भोगे परिच्चयइ॥३॥ कठिन शब्दार्थ - देवलोगसरिसे - देवलोक सदृश, अंतेउरवर - अन्तःपुर में (रानियों के साथ), गओ - प्राप्त हुए, वरे - प्रधान, भोए - भोगों को, भुंजित्तु - भोग कर, बुद्धो - प्रबुद्धे होकर, भोगे - भोगों को, परिच्चयइ - परित्याग करता है। ___ भावार्थ - उत्तम अन्तःपुर में रह कर देवलोक सरीखे श्रेष्ठ भोगों को भोग कर उन नमिराज ने बोध (तत्त्व ज्ञान) पा कर भोगों को छोड़ दिया। अभिनिष्क्रमण कैसे हुआ? मिहिलं सपुरजणवयं, बलमोरोहं च परियणं सव्वं। . चिच्चा अभिणिक्खंतो, एगंतमहिडिओ भयवं॥४॥ कठिन शब्दार्थ - मिहिलं - मिथिला नगरी, सपुरजणवयं - नगर और जनपद सहित, बलं - सेना, ओरोहं - अन्तःपुर, परियणं - परिजन को, चिच्चा - छोड़ कर, अभिणिक्खंतोअभिनिष्क्रमण, एगंतं - एकान्त-मोक्षमार्ग में, अहिडिओ - अधिष्ठित हुआ। भावार्थ - नगरों और जनपदों एवं प्रान्तों से जुड़ी हुई मिथिला नगरी चतुरंगिणी सेना अन्तःपुर और परिजन, दास-दासी आदि सभी को छोड़ कर भगवान् नमिराज प्रव्रज्या धारण करने के लिए घर से निकले और एकान्त का आश्रय लिया अर्थात् द्रव्य से उद्यान रूप एकान्त का और भाव से सम्यग्ज्ञान-दर्शन-चारित्र रूप मोक्ष का आश्रय लिया। __कोलाहलगभूयं आसी, मिहिलाए पव्वयंतम्मि। तइया रायरिसिम्मि, णमिम्मि अभिणिक्खमंतम्मि॥५॥ कठिन शब्दार्थ - कोलाहलगभूयं - कोलाहलभूत शब्द, आसी - हुआ, पव्वयंतम्मिदीक्षा लेने के समय, रायरिसिम्मि - राजर्षि, णमिम्मि - नमिराज के, अभिणिक्खमंतम्मि - घर से निकलने पर। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004180
Book TitleUttaradhyayan Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size8 MB
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